________________ ( 167 ) नहीं होती है। हा, बैगारी यदि बैगार करने में लुचपन करता है तो वह पिट जाता है; इसीतरह श्रद्धा विना की क्रिया करनेवाला क्रिया करने में दंभ करता है, बड़े भारी दंड का पात्र होता है। श्रद्धा के बाद आरोग्य बताया गया है। इसका कारण यह है कि, यदि किसी को मानसिक और वाचिक बल भी मिल गया हो और श्रद्धा भी हो तो भी यदि आरोग्य नहीं है तो कुछ भी नहीं है / आरोग्य के विना धर्म की आराधना नहीं हो सकती है / इसलिए धर्म साधन में आरोग्य की भी खास आवश्यकता है। मानसिक और शारीरिक बल भी हो, श्रद्धा भी हो, और आरोग्य भी हो, मगर यदि योग्यक्षेत्र न हो तो धर्म की साधना नहीं हो सकती है / इसलिए धर्मसाधन के लिए निरुपद्रव क्षेत्र की भी आवश्यकता है। उक्त पाँच बातें अनुकूल मिल गई हों, मगर यदि काल अनुकूल न हो तो भी धर्मसाधन में न्यूनता होती है / क्योंकि योग्य काल प्राप्त हुए विना कृतक्रिया फलदायिनी नहीं होती है। किसान गेहूँ बोने के समय कभी बाजरा नहीं बोएगा और यदि बोएगा तो उसको पछताना पडेगा / इसलिए धर्मसाधन में काल की भी खास आवश्यकता है। ऊपर बताई हुई छः वस्तुएँ ठीक मिलने पर भी यदि बुढापा आ गया होता है तो, शारीरिक बल पूरी तरह से काम नहीं कर सकता है। इसलिए निर्धारित