________________ ( 364 ) जिन को मोहराना की दुष्टता सम्पूर्ण रोत्या देखनी हो, उन्हें चाहिए कि वे उपमितिभवपंचाकथा; वैराग्य कल्पलता और मोह पराजय नाटक आदि ग्रंथ देखें / मोह की प्रबलता कम होने से रागद्वेष कम होते हैं; रागद्वेष के घटने से अनादि कर्मलेप की कमी होती है; और कर्मलेप की कमी से कई अंशों में आत्मस्वरूप की झलक दिखाई देती है / इस लिए मोहराजा को जीतने के लिए अपने पास, दान, शील, तप और भावनादि शस्त्रों को रखने की आवश्यकता है। इसी तरह ईर्ष्या, निंदा, विकथा और वनिता रूपी जासूसों और क्रोध, मान, माया, लोभ और कामादि उनके स्वामियों के हाथ से सुरक्षित रहने के लिए वैराग्य रूपी किले की जरुरत है। जो पुरुष वैराग्य रूपी किले में रहता है, उसके शस्त्रों को कोई नहीं छीन सकता है / पुरुष को मार्गानुसारी के गुणों की प्राप्ति भी वहीं से होती है। उसके बाद सम्यक्त्व की प्राप्ति होती है / यह रत्न अनादिकाल के कर्मलेप को उखाड़ देने में पर्वोत्कृष्ट औषध है / इसके बाद व्रतादि की प्राप्ति होती है। व्रतादि कर्मलेप को जडमूल से उखाड देते हैं / इसलिए कर्मलेप को नाश करने के मूल कारण; और दानादि शस्त्रों के रक्षक वैराग्यदुर्ग की खास जरूरत है। वैराग्य होने के अनेक कारण हैं / उन में मुख्य कारण सदु