________________ (362) करेंगे। आप कुछ चिन्ता न कीजिए / " तत्पश्चात् राग, द्वेष, क्रोध, मान, माया, लोम, हर्ष, मद, काम, रति, अरति, भय, शोक, जुगुप्सा और हास्यादि सुभटवर्ग कटिबद्ध होकर, युद्धार्थ उस पुरुष के पास गये / तुमुल युद्ध हुआ / अन्त में उस पुरुषने मोह की सेना को परास्त कर दिया / सुभट निराश होकर अपने राजा के पास गये। राजा को उन्होंने सारा वृतान्त कह सुनाया / सुन कर उसे बड़ा दुःख हुआ। वह दुःखपूर्वक विचारने लगा कि -अब क्या उपाय करना चाहिए ? वह इस तरह विचार कर रहा था,, उस समय निद्रा और तंद्रा हाथ जोड़ कर खड़ी हुई और बोली:-" महाराज ! जब तक हम, आपकी दासियाँ जीवित हैं, तब तक आपको चिन्ता करने की कोई आवश्यकता नहीं है। सब कार्य ठीक हो जायँगे / केवल आप का हाथ हमारे सिर पर चाहिए।" ऐसा कह दोनो दासियाँ वहाँ से खाना हुई / मार्ग में जाते हुए उनको शकुन भी अच्छे हुए / पहिले तन्द्रा उस पुरुष रत्न के पास गई / जाते ही उसका सत्कार नहीं हुआ। मगर धीरे धीरे उसने अपना प्रभाव जमा दिया। तब उस पुरुष को निद्रा लेने का विचार हुआ। इतनेही में निद्रा भी आ पहुँची / वह पुरुष. झोके खाने लगा। इससे स्वाध्याय में विघ्न पड़ने लगा / तब उस पुरुष के गुरु वृद्ध मुनिने शान्ति के साथ कहा:-" महानुभाव ! स्वाध्याय कैसे