________________ ( 360 ) सब चिन्ह देखकर, लोग उसको ब्रह्मचारी समझने लगते हैं। कि, यह मनुष्य शीलशस्त्रवाला है। परन्तु वास्तव में तो वह दुराचारी होता है। ईर्ष्यादि चार जासूसों के स्वामीने उसके हाथ में सत्यशीलशास्त्र रूपी शस्त्र के बजाय दंभ रूपी शस्त्र दिया होता है कि, जिससे वह गुप्तरीत्या काम-चेष्टा करता है / मगर लोगों में अपने आपको ब्रह्मचारी साबित करने का प्रयत्न करता है। इसी प्रकार से दानी या तपस्वी का रूप धारणकर, दंभ रूपी असत्याडंबर में पड़, जीव दूसरे लोगों को ठगते हैं। ऐसे असत्याडंबर में पड़े हुए जीव, मोहराना की गुप्त पुलिस का कार्य करता है। वे योगी बन भोगी का कार्य करते हैं / वे शास्त्रों और उपदेशों द्वारा जीवों को मोह महारान के भक्त बनाते हैं; और असत्य कामों से आत्मकल्याण बताते हैं / जैसे वे कहते हैं कि,-" बलिदान, यज्ञकर्म और श्राद्धादि कार्यों में नो हिंसा करते हैं, वे स्वर्ग के भागी बनते हैं। इस तरह मरनेवाले पशु भी उत्तम गति को प्राप्त करते हैं / " इस भाँति वे लोगों को भ्रपाते हैं। वाममार्गी तो निर्भीकता के साथ स्पष्ट शब्दों में कहते हैं कि, मांस और मद्य का खान, पान करने में कोई दोष नहीं है। इतना ही नहीं वे कहते हैं कि, ऐसा करने से अन्त में मोक्ष मिलता है। प्रिय पाठक ! यह महामोह की प्रबलता नहीं है तो और क्या है ? मोहरामा का प्रपंच एक विचित्र ही प्रकार का है / इससे