________________ ( 359) pe= = = = =90 मोह प्रपंच। 60====== मोह के भिन्न भिन्न स्वरूप / मोह राजा की प्रचंड आज्ञा संसार भर में मानी जाती है। उस मोह राजाने जगत-जीवों के पास से दान, शील, तप और भावना रूपी शस्त्र छीन लिये हैं। और कोई छिपकर या भूल से शस्त्र न रख ले इस हेतु से उसने जीवों के पीछे ईर्ष्या, निंदा, विकथा, और वनिता रूपी चार जासूस लगादिये हैं। अगर किसी के पास दानादि हथियारों में से एक भी हथियार होता है तो ये जासूस उसको लेलेने का प्रयत्न करते हैं; और प्रायः ये अपने प्रयत्नों में सफल होते हैं। यदि कभी ये हतसफल होते हैं, तो जाकर अपने स्वामी के प्रधान कर्मचारी काम, क्रोधादि को सूचना देते हैं। काम, क्रोधादि तत्काल ही जाकर जीवों के पास से शस्त्र छीन लेते हैं। यदि कोई, बहुत मजबूत होता है; और बल से उन शस्त्रों को नहीं देता है, तो वे छल से उन वास्तविक शस्त्रों के बजाय अवास्तविक और स्वघाती शस्त्र-कुशास्त्रादि-उन के हाथ में दे देते हैं कि, जिनसे वे स्वयं भी डूबते हैं और दूसरे भी हजारों जीवों को डूबोते हैं। किसीके पास ब्रह्मचारी के