________________ ( 352) जायगा ? यदि कर्ता भी कार्यरूप हो जाय तो, अनायास ही अनवस्था का दूषण उपस्थित होता है। दूसरे अवतार भी देव की महत्ता को सूचित नहीं करते हैं। उनके जीवन उल्टे अल्पज्ञता और अविवेकता को समझाते हैं / रावण को मारने के लिए राम का अवतार हुआ / रावण महासती सीता को हरकर ले गया। रामचंद्रजी जगह जगह उनको हूँढते फिरे / सीता की खबर मिली / उन्होंने सेना इकट्ठी कर रावण को मारा / आदि बाते ऐसी हैं, जिससे स्पष्ट ज्ञात होता है कि, अवतार धारण करनेवाले देव में सर्वज्ञता नही थी / हाँ, यह बात ठीक है कि रामचंद्रनीने वैराग्य प्राप्तकर दीक्षा ली थी। और कर्म क्षय कर, केवली, सर्पज्ञ हो मोक्ष में गये थे। जैन सिद्धान्त यही बात कहते हैं / यह युक्तियुक्त भी है / कंस को मारने के लिए कृष्णावतार और बुद्धावतार के कार्यों को दूर करने के लिए कल्कि अवतार हुआ था। बुद्धावतार शीतल स्वरूप माना गया है। उसने म्लेच्छों के मंदिर बढाये थे। यह बात कसे मानी जा सकती है। ये बात भी परस्पर में विरोधिनी हैं कि, एक अवतारने म्लेच्छों के मंदिर बढ़ाये और दूसग अवतार म्लेच्छों का नाश करने के लिए हुआ / यदि अवतारों की बात कल्पित प्रमाणित हो जाय तो सारी महिमा ही कल्पित हो जाय। यदि अवतारों की बात ठीक हो तो यह मानने में कोई हानि नहीं है कि, ईश्वर साधारण मनुष्यों की भाँति दुःख परम्परा