________________ ( 347 ) यहाँ आये हैं।" बलि को ब्राह्मण की बात सुन, क्रोध हो आया / इनकी इधर बातें होती थीं, इतने में वामनावतार विष्णुने सारी पृथ्वी तीन ही पावंडे में ले ली। आधा पावंडे के लिए उन्होंने बलिसे कहा:-" रे दुष्ट अपनी पीठ दे।" बलि पीठ पर पैर धराने से पाताल में चला गया / मरते समय बलिने कहा:--" महाराज ! लोग क्या जानेंगे कि, बलि इस तरह का हुआ है / इसलिए कोई ऐसी बात होनी चाहिए कि जो मेरी इस कृति की स्मृति रूप सदा बनी रहे / " तब विष्णुने कहा:दीवाली के चार दिन तक तू राजा और मैं तेरा द्वारपाल रहूँगा।" छठा अवतार। __ यह अवतार राम यानी परशुराम का हुआ। उसका वृतान्त इस तरह से है,-" सहस्रार नाम का एक क्षत्रिय था / उसके रेणुका नाम की बहिन थी। जमदग्नि ऋषिने रेणुका के साथ जबर्दस्ती से ब्याह कर लिया। सहस्रार जमदग्नि के आश्रम में गया / वहाँ उसने ऋषी और अपनी बहिन को बातें करते सुना / सुनकर सहस्रार बहुत कुपित हुआ। क्षत्रिय स्वभावतः ही शौर्य गुणवाले होते हैं / इसलिए उसने जमदग्नि को सताया और रेणुका को दुःख दिया / इसलिए भगवान ने जमदग्नि के घर जन्म लेकर, सहस्रार को मार डाला, और इक्कीसवार पृथ्वी को क्षत्रिय विहीन बनाया।