________________ ( 348) सातवाँ अवतार। राक्षस रावणने जब पृथ्वी पर बहुत उत्पात मचाया, तब देवने राम का अवतार लेकर रावण को मारा / वामन, परशुराम और राम ये तीनों अवतार त्रेतायुग में हुए हैं। आठवाँ और नवाँ अवतार / कंसादि दैत्यों को मारने के लिए भगवानने कृष्ण का रूप धारण किया / बुद्धावतार शीतल रूप; उसने म्लेच्छों के मंदिर बढाये / ये दोनों अवतार द्वापर युग में हुए हैं। दसवाँ अवतार / म्लेच्छों का नाश करने के लिए कलियुग में कल्कि अवतार हुआ। उक्त दशों अवतार धारण करनेवाला, सर्वज्ञ, ईश्वर, सर्वशक्तिमान, जगत्कर्ता और अविरोधक कहा जा सकता है या नहीं ? पक्षपात को छोड़कर यदि इस प्रश्न का विवेचन किथा जाय तो उस में कोई निंदा या विकथा नहीं है। वस्तु का विचार करना मनुष्य मात्र का धर्म है। पहिले मत्स्य, कूर्म, वराह और नरसिंह इन चारों अवतारों की मध्यस्थ भाव से मीमांसा की जायगी। शंख नामा दैत्य वेदों को लेकर पाताल में घुस गया। उनको वापिस लानेके लिए भगवान को मछली के पेट में जन्म लेना पड़ा / सोचने की