________________ लोगों में फैलाया / संसार में ऐसे कई उदाहरण मिलते हैं। जैसे-एक मनुष्यने रात को-जब सब लोग सो रहे थे-उठ कर, सिंह के पैरों के चिन्ह बनाये और फिर वह सो गया / सवेरे उस मार्ग से जाने आनेवाले लोगों को वे चिन्ह दिखा कर कहने लगाः-" देखो यह क्या है ? " उनमेसे एकने उत्तर दिया:-" जान पड़ता है कि, रात में यहां कोई सिंह आया है / " दूमरेने कहाः-"मेरे मन में रात को शंका हुई थी कि, कोई सिंह के समान जानवर है / " तीसरा बोला:-" मैंने रात को सिंह का सा शब्द सुना था / " चौथेने कहा:-"मैंने सिंह को अपनी आंखों से देखा था / " ऐसी अनेक बातें हुई / इसी तरह लोग परलोक की बातें करते हैं / वास्तविक वस्तु तो वही होती है, जो प्रत्यक्ष प्रमाण से सिद्ध होती है। बाकी तो ब्यर्थ के जंजाल हैं / खूब खाओ, पियो और विषय सुख भोगो। परलोक उसी समय माना जा सकता है जब कि परलोक की आत्मा सिद्ध हो जाय। " स्वाचार से पतित मनुष्य इस तरह से नास्तिक मत का आश्रय लेता है / नीतिकारोंने कहा है कि, नास्ति भ्रष्टे विचारः ( भ्रष्टता में विचार नहीं होता है / ) आचार ही प्रथम धर्म है / हिन्दु भी कहते हैं कि, आचारहीनं न पुनन्ति वेदाः / (आचारहीन मनुष्य को वेद भी पवित्र नहीं कर साता है।)