________________ (259) का पंखा है। राजाओं के पंखे तो, पंखा खींचनेवालों के अभाव से किसी समय बंद भी हो सकता है, परन्तु मुनियों का पंखा कभी बंद नहीं होता। .. प्र०-मुनियों के पास दीपक कहाँसे आ सकता है ! दीपक विना सब अंधेरा। उ०-देदीप्यमान चंद्रमा मुनियों के लिए दीपक है। यदि चंद्रमा को सदा रहनेवाला दीपक मानने में आपत्ति हो, तो तत्वार्थ बोध को उनका दीपक समझो। वह सदैव उनको प्रकाश देता रहता है / राजा का दीपक. जमीन को काली करनेवाला और प्रयत्न साध्य है / मगर मुनियों का दीपक उससे उल्टे गुणवाला है। प्र०- राजा की सेवा में कामिनी-वर्ग रहता है, वह मुनियों के पास कैसे हो सकता है ? उ०-विरति, शान्ति, समवृत्ति, दया, दाक्षिण्यता आदि कामिनी वर्ग सदा मुनियों की सेवा में रहता है / उससे मुनि सदैव सुखी रहते हैं / राजा को तो कईवार स्त्री वर्ग से दुःख भी होता है / यदि कोई स्त्री रूस जाती है, तो खुशामद के वचनों द्वारा उसको प्रसन्न करना पड़ता है / और कहीं स्त्रियों के आपस में झगड़ा हो जाता है तो राजा के बुरे हाल होते हैं। एक कविने ठीक कहा है कि: