________________ ( 260 ) बहुत वणिज बहु बेटियाँ दो नारी भरतार / उसको है क्या मारना, मार रहा किरतार // कर्म राजा से मरे हुए को क्या मारना ? मुनियों को ऐसा दुःख कभी नहीं होता। मुनि राना की अपेक्षा कई दरजे अधिक सुखी हैं / इसलिए हे राजन् ! हम राज्य ले कर क्या करेंगे ?" ___ इत्यादि कथन से आचार्य महारानने राजा को अपना भक्त किया। नगर में द्वेषीवर्गने जिनमंदिर का बनना रोका था उसके बनने की राजा से आज्ञा दिलाई। और इस तरह उन्होंने वीर शासन की विजयपताका फहराई। ऐसे प्रभावशाली पुरुषों को राजा की संगति फलदायिनी है; परन्तु सामान्य प्रकृतिवालों को तो राजा की संगति हानिकर ही होती है / उक्त गुणधारी महापुरुष कईवार लोगों की दृष्टि में, शिथिलाचारी भी मालूम पड़े मगर समय पड़ने पर वे पुनः वैसे के वैसे ही शुरवीर दृष्टि में आने लग जाते हैं। अशक्तों को, राजा के संसर्ग करने की इस लिए मनाई की गई है कि, यदि थोड़ासा भी उनका सन्मान हो जाय तो वे अन्त में राजा के किंकर-राजा के आज्ञापालक और सर्व प्रकार से पतित हो जाते हैं / कई पंडित तो राजा की दाक्षिण्यतासे-अनुकूलतासे-निजधर्म को छोड़ कर हिंसा रूप अधर्म को भी स्वीकार करते हैं / मगर वास्त