________________ ( 258) परन्तु मुनि निश्चिन्त हो कर सोते हैं / राजा के सुख के साथ तुलना करते हुए यदि कोई शंका करे कि राजा तो शय्या पर सोता है, मुनि को शय्या कहाँसे मिल सकती है ! इसके उत्तर में कवि कहता है कि, राजा की शय्या तो जब नौकर तैयार करते हैं तब ही होती है, परन्तु मुनियों के लिए पृथ्वी रूपी मनोहर शय्या हमेशा के लिए ही तैयार रहती है। प्र०—राजा के तकिये होते हैं, मुनियों को कहाँसे मिल सकते हैं। उ०-भुजलता ही मुनियों का तकिया है कि, जो सोते समय मुनियों के सिरके नीचे रहता है / राजा के तकिये में तो खटमल आदि जानवर पड़ जाते हैं, मगर मुनियों के इस तकिये में तो किसी की शंका भी नहीं है। प्र-राजा की शय्या पर तो रंगबिरंगी चाँदनी-चंदोवा होती है / मुनियों को वह कहाँ से प्राप्त हो सकती है ? उ०-तारा, नक्षत्रादि विचित्र रंगवाला आकाश ही मुनियों के लिए चाँदनी है। राजाओं की चाँदनी मलिन हो जाती है / मगर मुनियों की यह चाँदनी कभी खराब नहीं होती। प्र०-राजा के यहाँ पंखे चलते हैं, मगर मुनियों के पास कहाँ हैं ! उ०-दशो दिशाओं का अनुकूल मंद पवन ही मुनियों