________________ (277 ) दूर करना चाहिए। तात्पर्य कहनेका यह है कि, कर्म का कारण माया है, इसलिए माया को दूर करने से उसका कार्य कर्म भी स्वयमेव दूर हो जाता है / समाधि धर्म के जाननेवाले और शुरवीर संसार में वे ही लोग समझे जाते हैं कि, जो बुरे विचारों से विषय-विवश नहीं होते हैं। साधु को गृहस्थ के घरमें बातचीत करने की मनाई की गई है / इसका अभिप्राय यह है कि, साधु गृहस्थ के घरमें जा कर विकथा, या बे मतलब की गपशप न करे / यदि साधु को धर्मकथा करने का मौका पड़े तो वह उस समय करे जब दूसरे एक दो साधु उसके साथ हों, कई स्त्रियाँ हों और गृहस्थ पुरुष भी वहाँ मौजूद हो / यदि ऐसा न हो तो साधु धर्मकथा भी न करे / प्रश्न का उत्तर देने की शक्ति होने पर भी आप उत्तर न देकर, गुरु का मान रखने के लिए, उसको गुरु के पास आने के लिए कहे / यदि कहीं ऐसा अवसर आ जाय कि प्रश्न का उत्तर न देने से शासन की निंदा होती हो, या लोग अनेक प्रकार की कल्पना करते हों तो, साधु शान्ति के साथ गंभीरतापूर्वक प्रश्न का उत्तर दे / मगर वृष्टि आदि सावध प्रश्नों का उत्तर तो साधु सर्वथा न दे। ऐसे प्रश्नों में अनेक प्रकार के अनर्थ रहे हुए हैं। क्योंकि शुभाशुभ बतानेवाला प्रत्यक्ष आर्तध्यानी होता है। उदाहरणार्थ-साधु कहे कि, अमुक दिन वर्षा होगी।