________________ (231) अभयकुमार, राजा श्रेणिक और अन्यान्य समाजन-जो परीक्षक बने थे, वहाँ गये / सफेद तंब के दर्वाजे पर खडे हो गये / और प्रत्येक को बुला बुला कर प्रश्न पूछने लगे कितुमने क्या सुकृत किया है ? और करते रहते हो ? एकने उत्तर दिया:-" मैं किसान हूँ। खेती करता हूँ। मेरे धान का नुकसान करनेवाले कई जीवों को मैं मारता हूँ। कई भूखों को अन्न देता हूँ।" दूसरेने कहाः- " मैं ब्राह्मण हूँ। षटकर्म में मैंने प्रसिद्धि पाई है / वेद की आज्ञानुसार कर्म करता है, और कराता हूँ। कई पशुओं को मरवा कर उन्हें और मारनेवालों को स्वर्ग का अधिकारी बनाता हूँ।" . तीसरा बोला:- " मैं वणिकपुत्र हूँ। व्यापार करके अपने कुटुंब का पालन पोषण करता हूँ।" ___ चौथा बोला:-" मैं भंगी हूँ। अपने कुलाचार को पालता हू / अनेक मांसाहारी पशु पक्षियों को मुझसे सुख पहुँचता है। मुझसे मांस प्राप्त करके वे अपने जीवन की रक्षा करते हैं / इसलिए मैं धर्मात्मा हूँ।" ___ इस तरह सबने अपनी अपनी कल्पना के अनुसार धर्म बताया और अपने को धर्मात्मा साबित किया / तत्पश्चात् वे परीक्षक काले तंबू के सामने गये। उसमें से केवल दोही श्रावक