________________ (230) करते हैं, जिससे वास्तविक धर्म का साधन कर स्वर्ग और मोक्ष सुख को पाते हैं। दुनिया में वास्तविक धर्म साधकों की अपेक्षा अवास्तविक धर्म के साधक बहुत ज्यादा मनुष्य हैं / शास्त्रों में इसके लिए एक दृष्टान्त दिया गया है। "मगध देश में राजगृही नगरी थी। उसमें श्रेणिक राजा राज्य करता था / एक दिन वह अपने कुमार अभयकुमार सहित सभा में बैठा था। सभा में अनेक प्रकार की बातें हो रही थीं। बातों में धार्मिक चर्चा भी चली। समास्थित कई लोगों ने कहा कि, संसार में धर्मी मनुष्य कम हैं और अधर्मी मनुष्य विशेष हैं / सारी सभाने यह बात स्वीकार कर ली मगर चतुर, बुद्धिमान अभयकुमारने यह बात न मानी। उसने कहा कि-' हे समाजनो ! संसार में धर्मी मनुष्य विशेष है और अधर्मी कम / अभी तुम मेरी बात न मानोगे, मगर परीक्षा करने पर मानने लग जाओगे। सभाने प्रसन्नता पूर्वक परीक्षा करने की स्वीकारता की। एक काला और एक सफेद / तत्पश्चात् नगर में ढिंढोरा पिटवा दिया कि-'कल सब लोग नगर के बाहिर जायें और जो धर्मात्मा हों वे सफेद तंबू में और बाकी के काले तंबू में जा कर बैठे,' ऐसाही हुआ। सब लोग सफेद तंबू में जाकर बैठे केवल दो श्रावक काले तंबू में बैठे।