________________ ( 204) इस लिए तू वापिस घर चल / तू घर में रह कर भी धर्म-साधन कर सकता है / आरंभ समारंभ से सर्वथा दूर रहना / नीतिपूर्वक कार्य करना / कार्य करने में यदि किसी तरह की अडचन पडेगी तो हम सब लोग मिल कर तेरी सहायता करेंगे। एकवार ही में कार्यसे घबरा कर घर छोड़ देना सर्वथा अनुचित है इस लिए घर चल कर फिरसे कार्य में लग।" संबंधी और भी कहते हैं:-" हे पुत्र! एक वार घर चल। अपने स्वजन संबंधियों से मिल कर फिर वापिस चले आना / वे लोग तेरे लिए तरस रहे हैं / घर जा कर वापिस आ जाने में कुछ तेरा साधुपन नहीं बिगड़ जायगा। वहाँ रह कर भी तू घर का कुछ कार्य न करना / इच्छित धर्मानुष्ठान करते हुए तुझे कौन रोक सकता है ? एक बात यह भी है। यदि तू योग्य समय पर दीक्षा लेगा तो कामादि विकार भी तुझ को नहीं सता सकेंगे / हे पुत्र ! हम जानते हैं कि, तू कर्नसे डर कर घर छोड़ रहा है। परन्तु तुझे इस की चिन्ता करने की कोई आवश्यकता नहीं है / हमने सारा कर्ज चुका दिया है / तुझे व्यापार करने के लिए जो द्रव्य चाहिए वह भी हम तुझे देंगे। तु किसी प्रकार का मन में भय न कर / "