________________ ( 132 ) विश्वास के योग्य भी नहीं रहता है। वह जो शुभ काम करता है उसको भी लोग उस का प्रपंच समझते हैं। इसी लिए कहा है कि माया महा नागिनी है / इस से सदा दूर रहो।। ___मायाचार से दूर हो जाने पर भी लोग यदि उस को मायाचारी कहें तो इस की कुछ भी परवाह नहीं करना चाहिए / क्यों कि साँच को आँच नहीं है / विजय हमेशां सत्य ही की होती है। आजकल लोग बुद्धिमान पुरुषों को भी प्रपंची बताते हैं। परन्तु लोगों के कहने से उन्हें भयभीत नहीं हो कर अपना कार्य करते रहना चाहिए। हाँ, अधर्म से अवश्य डरना चाहिए। वाद विवाद के अन्दर जब युक्ति प्रयुक्ति से काम लिया जाता है तब, यह निश्चय है कि उनमें से एक जीतता है और दूसरा हारता है / हारा हुआ मनुष्य भोले लोगों को भ्रम में डालने के लिए नयी को प्रपंची अथवा Political आदमी बताता है / परन्तु इस तरह से नयी पुरुष मायावी-प्रपंची-नहीं हो सकता है / यदि वास्तविक रीति से देखेंगे तो मालूम होगा कि अपना मूठा बचाव करने के लिए-अपनी महत्ता कायम रखने के लिए लोगों को जो ऐसी बातें कहता है वही प्रपंची है। मगर इस तरह अपनी कमजोरी लोगों में प्रकट न होने देने के ख्याल