________________ ( 169) वास्तविक तत्त्वज्ञान की बात कहनेवाला तो कोई भी नजर नहीं आता है। ___पूर्वकाल में त्यागी महात्मा लोग जो उपदेश देते थे, उन को वे स्वयं आचरण में लाते थे। कोई धार्मिक कृति करने की शिक्षा वे उस समय तक लोगों को नहीं देते थे, जब तक कि वे स्वयं उस को आचरण में नहीं लाने लगते थे। आजकल तो ऐसे उपदेशक रह गये हैं किः पंडित भये मशालची, बाते करें बनाय / करें और को चादनी, आप अँधेरे जायें / श्रीमान महावीर स्वामी आन से 2445 वरस पहिले जब इस भरतक्षेत्र में विचरते थे उस समय बुद्ध, पुराण, कश्यप, मंखलीगोशाल, कुकुदकात्यायन, अजितकेश कंबल और संजय बोलपुत्र आदि उपदेशक की विद्यमान थे / मगर उन के आपस में वैर विरोध बहुत ही थोडा था। श्रीमन् महावीर स्वामी रागद्वेष रहित थे, सवज्ञ थे, इस लिए उन्होंने लोगों को केवळ आत्मश्रेय का ही उपदेश दिया था। उन के उपदेश में ज्ञान, दर्शन, चरित्र और तप, आदि का शान्तिपूर्वक, प्रतिपादन किया गया है / श्रीमन् महावीर स्वामी के विषय में बुद्धादि देवोंने कईवार रागद्वेष किया था, वह उन के बनाये हुए