________________ ( 198) साधु भी तपस्या के द्वारा पूर्व जन्म में बाँधे हुए कर्मों को क्षय कर देते हैं। ___ पक्षियों के शरीर पर चाहे कितनी ही धूल जमी हो; पाँखों के फड़फड़ाते ही उन की धूल उड जाती है। और मैल के दूर हो जानेसे वे स्वच्छ और सुन्दर मालूम होने लगते हैं / इसी भाँति जो मुनि निनोक्त मुक्ति पहुँचानेवाली नाना भाँति की क्रियाएँ करते हैं; स्थिरता के साथ तप करते हैं, उन को प्रतिकूल तो क्या मगर अनुकूल उपसर्ग भी-जो अच्छे क्रियावानों को भी धर्मभ्रष्ट बना देते हैं-उन को विचलति नहीं कर सकते हैं। * अनुकूल उपसर्ग। 64000000000000000 उपसर्ग दो तरह के हैं-अनुकूल और प्रतिकूल / अनुकूल उपसर्ग प्रतिकूल उपसर्गोसे विशेष बलवान होते हैं। बड़ा भारी शक्तिशाली व्यक्ति भी अनुकूल उपसर्गोसे हार जाता है। क्यों कि मोहनीय कर्म अनादि कालसे जीवों को सम्मार की ओर खींचता आ रहा है। इस का स्वभाव ठीक चुम्बक के समान है / जैसे चुम्बक हरेक तरह के लोहे को अपनी ओर खींचता है वैसे ही मोहमीय कर्म भी जीवों को अपनी ओर