________________ (141) लड़ पड़ते हैं वैसे ही सहोदर सगे-माई भी थोड़े से धन के लिए. आपस में युद्ध करते हैं। ____ आश्चर्य है कि एक ही माता के गर्भ से जन्मे हुए भाई लोभ रूपी पिशाच के वश में हो, संबंध को एक और रख, आपस में शत्रुता का वर्ताव करने लगते हैं। उदाहरण स्वरूप हम भरत और बाहुबलि का व कौरवों और पांडवों के युद्ध का नाम लेते हैं / इनके युद्धों से जैन और हिन्दु सब परिचित हैं। पांडवचरित्र में और महाभारत में इन युद्धों का विस्तार पूर्वक वर्णन आया है। वर्तमान समय में भी ऐसे सैकड़ों उदाहरण हम प्रत्यक्ष देखते हैं। स्वार्थ साधन में ही रत रहनेवालों की बात को रहने दो मगर परमार्थ साधक मुनियों को-जो मोक्ष के सार्थवाह और निःस्पृही गिने जाते हैं-भी लोभ डाकू लूटे विना नहीं छोड़ता है। कहा है कि: प्राप्योपशान्तमोहत्वं क्रोधादिविनये सति / लोमांशमात्रदोषेण पतन्ति यतयोऽपि हि // भावार्थ-क्रोध, मान और माया को जीतकर ' उपशान्त मोह / नामा गुणस्थान में पहुँचे हुए मुनि भी लोभ के अंश मात्र से वहाँ से पतित होजाते हैं। जैनशास्त्रों में चौदह गुणस्थान बताये गये हैं / वे क्रमशः एक दूसरे से ऊँची कोटि के हैं। जैसे जैसे आत्मिक गुणों