________________ ( 164 ) ऐसे पुराणों से अनेक उदाहरण दिये जा सकते हैं। परन्तु अब हम उनको छोड़कर आजकाल की बातों का थोड़ा उल्लेख करेंगे। माल खरीदने और बेचनेवाले में झगड़ा होजाता है। लोम के कारण बेचनेवाला कुछ कम देने की नियत रखता है और लेनेवाला कुछ ज्यादा लेने की / नौकर और मालिक के बीच में झगड़ा होता है और कईवार तो उन्हें कचहरियों में चढ़ना पड़ता है। मंत्री और राजा के बीचमें क्लेश होनाने से राना मंत्री का घर लूट लेता है / लुटा हुआ मंत्री दूसरे राजा से जा मिलता है और राजा, राज्य के साथ स्वदेश को भी नष्ट भ्रष्ट करा डालता है। विद्रोह के दोषसे उसकी भी अन्त में पुरी हालत हो जाती है / इन सबका कारण एक ही है। वह है लोभ / लोभाधीन मनुष्य अपनी जाति की या अपने देश की कुछ भी भलाई नहीं करते हैं। गुरु और शिष्य का संबंध आत्मकल्याण के लिए होता है / मगर यदि उन के दिलों में लोग का अंकुर फूट उठे तो गुरु अपनी गुरुता छोड़कर, धूर्त बन जाता है और शिष्य अपना शिष्यत्व छोड़कर ठगी अखतियार करता है। फिर दोनों आत्म-कल्याण को छोड़कर द्रव्य-कल्याण की धुन में लगते हैं। उनके पठन, पाठन, मनन, क्रियाकांड, धर्मोपदेश