________________ और सोचने लगा-" मैं दो माशा के बजाय दस माशा सोना माँग लँ / मगर इतनेसे तो केबल कपड़े ही बनेंगे। जेवर नहीं बनेगा / इसलिए बहुत देरके बाद उसने निश्चय किया कि एक हजार माशे माँग लँगा। लोमने उसको उस निश्चय पर भी स्थिर न रहने दिया / उसने सोचा-घर, द्वार, घोड़ा, गाड़ी, दासदासी आदि एक हजार माशेसे न हो सकेंगे। इसलिए एक लाख माशे मांग लूं। मगर यहाँ जीव न ठहर सका। सोचने लगा-एक लाख में तो राजा के समान समृद्धिशाली न बन सकूगा। इसलिए. एक करोड माशा सोना माँगना चाहिए। उसी समय उसके शुभ कर्मों का उदय आया। उसके हृदय में वैराग्य भावना उत्पन्न हुई / उसको नैसर्गिक सम्यक्त्व उत्पन्न हुआ और साथ ही शम, संवेग, निर्वेद आदि गुणोंकी भी प्राप्ति हुई। इससे वह वाटिका ही में बैठा हुआ भावसाधु बन गया और द्रव्यसाधु बनने के लिए लोच करने को तत्पर हुआ। उसी समय देवताओंने आकर उस को मुनिका वेष अर्पण किया। तत्पश्चात् वह वहाँसे उठकर राना के पास गया। राजाने उसको बहु रूपिये की भाँति दूसरा वेष बदला देख, पूछाःक्या सोचा ?" उसने उत्तर दियाः