________________ अपना धन नहीं लेनाने देते हैं और यदि कोई लेजाता है तो उसको सुखशान्ति से उसका उपभोग नहीं करने देते हैं। ___ यह तो हुई पिशाचों की बात / उच्च जाति के देव भी लोभ के वश में होकर नीच गति पाते हैं। कहा है किः भूपणोद्यानवाप्यादौ मूच्छितास्त्रिदशा अपि / च्युत्वा तत्रैव जायन्ते पृथ्वीकायादियोनिषु // भावार्थ-देवता भी गहना, बागीचा और बावडियों में मोहित होने से, वे देवयोनिसे चक्कर-उन्हीं स्थानों में-पृथ्वीकायादि योनि पाते हैं। विमानवासी देव क्रीडा करने के लिए बाहिर जाते हैं। वहाँ यदि उनकी आयु पूर्ण होजाती है तो जिस वस्तु में वे मुग्ध होते हैं उसी वस्तु में, वे मरकर, जन्मते हैं। उसमें भी प्रबल कारण लोम ही है। यहाँ यह बताना अनुचित नहीं होगा कि, मनुष्य लोभ के वश होकर कैसे कैसे अनर्थ करते हैं। और कैसे कैसे कष्ट उठाते हैं ? कहा है कि: एकामिषभिलाषिणो सारमेया इव द्रुतम् / सोदर्या अपि युध्यन्ते धनलेशजिघृक्षया // भावार्थ-मांस के एक दृकड़े के लिए जैसे कुत्ते बहुत जल्दी