________________ इसि अभिमान से दुर्योधन की कैसी दुर्गति हुई थी ? दुर्योधन का हाल बच्चों से बूढों तक सब जानते हैं। श्री महावीर भगवान के शासन में व्रत, नियम, स्वाध्याय और इन्द्रिय निग्रह करनेवाले कई मुनियों के भी निन्हव की छाप लगी थी। उस के मूल कारण की जाँच करेंगे तो मालूम होगा कि वह कदाग्रह था। ___ अभिमान ही से वितंहावाद कर के मनुष्य अपने जीवन को व्यर्थ नष्ट कर देते हैं। वे परभव में अनेक दुःख उठाते हैं / उस समय अभिमान उन की रक्षा नहीं करता; प्रत्युत जीव उस के कारण एक कोड़ी का हो जाता है। निरभिमान पुरुष अहंकार, ममकार के शत्रु होते हैं / वे सत्य के पक्षपाती होते हैं / उन के हृदय पर विवेक, विनय, शम, दमादि का प्रकाश छा जाता है। जिस से वे वास्तविक ज्ञान दर्शन और चारित्र को देख सकते हैं / इसी भाँति इन्हें अन्य को भी वे दिखा सकते हैं / जिस समय मान का उदय नहीं होता उस समय मनुष्य गुणी के गुणगान कर सकता है। स्वयंगुणी और. गुणानुरागी पुरुष ही चारित्र और दर्शनगुण की प्राप्ति कर सकते हैं / इस के विपरीत अभिमान पर्वत पर चढ़े हुए गुण-द्वेषी मनुष्य वास्तविक वस्तु को न समझ सकने के कारण मिथ्यात्व की भूमि में स्थित होते होते हैं। श्रीमद्