________________ (127 ) और तपसे-छठ अठ्ठम आदि तपसे-क्या लाभ है ? यदि अंधे की आँखों से अंधापन नहीं मिटा तो आइना या प्रकाश उसके लिए किस प्रयोजन के हैं ? ३-त्रास नामा दूषण के कारण जैसे महामणि दूषित होता ह वैसे ही केश लोच, भूमि शयन, भिक्षासे प्राप्त किया हुआ शुद्ध आहार और अठारह प्रकार के ब्रह्मचर्यव्रत का पालन सब दूषित हो जाते हैं। कपटी मनुष्य का कहीं भी कल्याण नहीं होता / कपटी मनुष्य के यम, नियम आदि उस के लिए भव-भ्रमण की अमिवृद्धि के कारण होते हैं / यहाँ तक कि, उस का घोर तपश्चरण भी उस के लिए जन्म, जरा और मृत्युरूपी महा दुःख को बढ़ाने का ही हेतु होता है / ब्रह्मचर्य भी उस के लिए मोक्ष का कारण नहीं होता है / जैसे दृषितमणि की थोड़ी कीमत आती है वैसे ही मोक्ष के कारण रूप, जप, तप, संयम आदि भी दंभी मनुष्य के लिए संसार के कारण हो जाते हैं। ... मनुष्य यदि अपनी बुद्धि को स्थिर करके विचार करे तो तत्काल ही उस को विदित हो जाय कि, यश के लिए और अनेक प्रकार की उपाधियों के लिए जो कपट क्रियाएँ की जाती हैं वे ही यदि निष्कपट भाव से की जाये तो उन से मनुष्य को वास्तविक अक्षय यश की प्राप्ति होती है / क्रियावान जब निदैम हो कर क्रियाएँ करेंगे तब ही राजा, महाराजा, देव, दानव