________________ ( 196 ) में सत्य, सन्तोष, तप, जप, ध्यान, ज्ञान आदि गुण होते हैं / / कहा है कि: सत्यं ब्रह्म तपो ब्रह्म ब्रह्मचेन्द्रियनिग्रहः / सर्वभूतदया ब्रह्म ह्येतद् ब्राह्मणलक्षणं // 1 // सत्यं नास्ति दया नास्ति नास्ति चेन्द्रिह निग्रहः / सर्वभूतदया नास्ति ह्येत चाण्डाललक्षणम् // 2 // भावार्थ-सत्य ब्रह्म है, तप ब्रह्म है, इन्द्रियनिग्रह ब्रह्म है और सब प्राणियों पर दया करना ब्रह्म है। ये ब्राह्मण के ल-- सण हैं। २-सत्य का न होना, दया का न होना, इन्द्रियनिग्रहः का न होना, और सब प्राणियों पर दया का न होना; ये चा-- डाल के लक्षण हैं। ब्राह्मण किस को कहना चाहिए ! इस के संबंध में शासकार अनेक लोकों द्वारा कवन कर गये हैं। वास्तव में देखा जाय तो लोग पून्य की पूजा करते हैं। 'पूजितपूर्णको कोकः। जो नाम मात्र के ब्राह्मण हैं वे उपर बताये हुए इन्द्रगोप मामा कीड़े के समान है। इन्द्रगोप नाम के कीड़े वर्षा के प्रारंभ में होते हैं ! उन का रंग लाल होता है। उन का नाम यद्यपि इन्द्रगोप-इन्द्र का रक्षक है, तथापि उन विचारों में इतना सामर्थ्य छोड़ कर अपनी