________________ ( 190) . है / इस लिए पुरुष यदि स्वदारा संतोष व्रत नहीं ग्रहण करेंगे तो स्त्री अपनी कामवासना को न दवा सकेगी और वह भी उसको शान्त करने के लिए कोई दूसरा मार्ग ग्रहण करेगी। क्यों कि प्रत्येक स्त्री इतनी वैराग्यवृत्तिवाली नहीं होती है कि, जिससे वह अपने काम-विकारों को, अपने पति को इमरी स्त्री का सहवास करते देख कर, जान कर भी दवा सके / उल्टे वह यह सोचेगी कि जब मेरा पति दूसरी के पास जाता है तो फिर मुझ को भी दूसरे पुरुष के पास जाने में क्या हानि है / इस प्रकार के स्त्री पुरुषों से जो सन्तान होगी वह कैसी होगी ! इस का विचार करना भी आवश्यक है। श्रीमद हेमचंद्राचार्यने स्त्री की रक्षा के लिए योगशास्त्र म चार उपाय बताये हैं / (1) स्त्री को स्वतंत्रता नहीं देना; (2) उसको धन की मालकिन नहीं बनाना; (3) घर का सारा कार्य उसी के सिर पर रखना; और (4) परस्त्री का सर्वथा त्याग करना। परस्त्री शब्द से अपनी स्त्री को छोड़ कर अन्य सारी ही स्त्रियों को समझना चाहिए-चाहे वह वेश्या ही क्यों न हो ?वेश्यागामी पुरुष कभी धर्मात्मा नहीं होता / न वह कभी सुखी ही होता है / लोगों की दृष्टि में भी वह प्रामाणिक पुरुष नहीं समझा जाता है / इस लिए कल्याण की इच्छा रखनेवाले मनुष्यों के लिए यही उचित है कि वे सदा वेश्या से दूर रहें।