________________ ( 96 ) जिस को कदाग्रह रूपी दुष्ट ग्रह लग गया, उम के लिए समझना चाहिए कि इस के दिन बुरे हैं-इस का भाग्य उल्टा हो गया है / क्यों कि कदाग्रही मनुष्य के हृदय में कभी सद्विचारों की स्फूर्ति नहीं होती है। कई वार कद ग्रह को कुठार, अग्नि, विष, पत्थर, मिट्टी, राख, रोग, शोक आदि की जो उपमाएं दी जाती हैं। वे वास्तव में यथार्थ हैं-ठीक हैं / क्यों कि कुठार- कुल्हाड़ीजैसे वृक्षों को नाश करता है, वैसे ही मान भी सद्ध्यान रूपी वृक्ष का नाश कर देता है / अग्नि जिस प्रकार लता समूह का नाश कर उसे फूल फल देने से वंचित कर देती है, उसी तरह जिस के हृदय में कदाग्रह रूपी अग्नि लगती है वह सद्भावना रूपी बेल का नाश कर, समता रूपी पुष्प और हितो'देश रूपी फल पाने से मनुष्य को वंचित कर देती है / विष जैसे मनुष्य के अवयवों को ढीले बना कर अनंत वेदना देने के बाद उसका प्राण लेता है इसी प्रकार जो मनुष्य कदाग्रह रूपी विष का पान कर लेता है; उप के सम्यग् ज्ञान रूपी शरीर के अवयव शिथिल हो जाते हैं; वह अज्ञान हो जाता है; दृश्चिता रूपी वेदना होती है और अन्त में उस के शुभ भाव प्राण नष्ट हो जाते हैं / पत्थर में जिस माँति जल-चिन्दु प्रविष्ट नहीं हो सकता है उसी तरह निसका हृदय कदाग्रह से पत्थर समान हो जाता है उसमें तत्वजल प्रविष्ट नहीं हो सकता है। मिट्टी जैसे कांचन को मलिन