________________ (70) ज्ञान है। में पूरा ज्ञाता हूँ / प्रत्येक मनुष्य मेरे सामने मूर्ख है। मैं तत्त्व की जैसी व्याख्या करता हूँ, जिस तरह दूसरों को समझाता हूँ जिस भाँति तत्त्व का सार निकाल कर रखता हूँ; उस तरह तत्त्व का जानने वाला. मनुष्य आज तक दृष्टि में नहीं आया। - इस प्रकार आठ मदों का गर्व कर के मनुष्य जन्मान्तर में उन से वंचित रहता है अथवा उन्हें कम पाता है और परिणाम में दुखी होता है / देखो (1) जाति का मद करलेवाले हरिकेशी को नीच जाति मिली / (2) लाम का मद करने वाला सुभम चक्रवर्ती नरक में गया / (3) कुल का मद करने वाला मरीचि का जीक चिरकाल तक संसार में भ्रमण करने के बाद अन्त में, श्री महावीरस्वामी का जीव हो कर मिखारी कुल के गर्भ में आया / फिर देवों ने हरण कर के उन्हें क्षत्रिय-कुल के गर्भ में रक्खा / (4) दशार्ण भद्रराजा ने जब ऐश्वर्य का अहंकार किया तब इन्द्र महाराज ने उस को अपनी समृद्धि बताई / उसको देख कर, दशार्णभद्र का मद उतर गया और वह साधु बन गया / (5) बल का. मद कर के श्रेणिक राजा नरक का अधिकारी बना / (6) रूप का मद करने से सनतकुमार चक्रवर्ती रोगी बना / (7) तप का मद करने से कुरगड़ें ऋषि के तप में अन्तराय पड़ा / और (8)