________________ (72) मावार्थ-लाम, लाभान्तराय कर्म के क्षय होने ही से होता है, अन्यथा नहीं / इस लिए वस्तु के तत्त्व को जाननेवाले पुरुषों को लाभ का मद नहीं रखना चाहिए। . किसी भी वस्तु की प्राप्ति में अथवा अप्राप्ति में शुभाशुम कर्म ही कारण होता है / शुभ कर्म के उदय से और अशुम कर्म के क्षय से लाम होता है / इस लिए जिस समय लाम हो उस समय लेश मात्र भी मद नहीं करना चाहिए / बल्के यह सोचना चाहिए कि मेरे पूर्व के शुभ कर्मों का क्षय हुआ है। इस क्षति में मद करना कैसा ? कहा है कि परप्रसादशक्त्यादिमवे लाभे महत्यपि / न लाभमदमृच्छन्ति महात्मानः कथंचन / / मावार्थ-दूसरों की कृपा से; दुसरो की शक्ति से बहुत बड़ा लाम होता है तो भी महात्मा लोग किसी भी तरह से गम का मद नहीं करते हैं। अब कुल मद त्यागने का उपाय बताया जायगा / अकुलीनानपि प्रेक्ष्य प्रज्ञाश्रीशीलशालिनः / न कर्तव्यः कुलमदो महाकुलमवैरपि // कि कुलेन कुशीलस्य सुशीलस्यापि तेन किं / एवं विदन् कुलमदं विदध्यान न विचक्षणः // मावार्थ-अकुलीन-नीचकुल में उत्पन्न हुए हुए-मनुष्यों