________________ था उमी स्थान पर वे दोनों पहुंचीं; परन्तु वहाँ बाहुबली उन्हें नहीं दीखे / उन्हें भगवान के वचनों पर पूरा श्रद्धान था, इस लिए वे उसी स्थल को बारीकी से देखने लगी / लता से ढंके हुए बाहुबली अन्त में उन्हें दिखाई दिये। उन्हों ने भव्य स्वर में कहाः हे बन्धु, गज से नीचे उतरो / जो गज पर-हाथी पर चढे रहते हैं उन्हें केवलज्ञान प्राप्त नहीं होता है। इतना कह कर वे अपने स्थान को चली गई। उन के जाने बाद, धीर, वीर बाहुबली गंभीरता से सोचने लगे-" मैंने सारी राज्य-ऋद्धियाँ का त्याग कर दिया है, तो मी संयम धणी साध्वियों ने मुझ को हाथी से उतरने के लिए क्यों कहा ? मेरे पास हाथी कहाँ है ? मगर यह भी है कि-- साध्वियाँ कभी मिथ्या नहीं बोलती हैं / तब उन्हों ने ऐसा कहा क्यों ?" इसी माति सोचते सोचते अन्त में उन्हें साध्वियों के कथन का रहस्य ज्ञात हो गया। उन्हों ने सोचा-" साध्वियों ने ठीक कहा था / मैं मान रूपी हाथी पर चढ़ रहा हूँ।' हा ! धिक ! माम् धिक ! सत्य है। मान रूपी हाथी पर चढ़े हुए पुरुष को कभी केवलज्ञान नहीं होता है / यह मेरी कैसी अज्ञानता है कि मैंने जगद्-वंद्य पुरुषों को नमस्कार करने में भी