________________ (53) उसमें से धुंआ उठता है, उसी से चारित्र-चित्र दूषित हो जाता है-काला हो जाता है।) ऐसे दुष्ट क्रोध को नष्ट करने के लिए प्रयत्न करना चाहिए। यो वैराग्यशमीपत्रपुटैः शमरसोऽनितः / शाकपत्रपुटाभेन क्रोधेनोत्सृज्यते स किम् ? // . भावार्थ-वैराग्य रूपी शमीवृक्ष के पत्तों के दोनों द्वारा जो शान्ति रूपी रस एकत्रित किया गया है उस को क्या शाक के पत्तों के दोनों समान क्रोध से त्याग कर देना चाहिए ? कदापि नहीं। ..शमीपत्र बहुत ही छोटे छोटे होते हैं। इसलिए उनके बने हुए दोने मी छोटे होते हैं और इसीलिए उनमें रस भी बहुत ही कम ठहरता है / अतः उनके द्वारा रस जमा करने में बहुत देर लगती है। इसी प्रकार वैराग्य के द्वारा शान्त रस को एकत्रित करते भी बहुत देर लगती है। . .. . शाकपत्र बड़े बड़े होते हैं। इस से दौने बडे बनते हैं और उन में बहुत ज्यादा रस भरा जा सकता है / ऐसे बड़े बड़े दोनों से छोटे छोटे दोनों द्वारा इकट्ठा किया हुआ रस बहुत ही जल्द खाली किया जा सकता है। इसी भाँति वैराग्य के द्वारा एकत्रित किया हुआ शान्ति रूपी रस भी क्रोध के द्वारा बहुत जल्द नष्ट हो जाता है। अतः बड़ी कठिनता से नो चीज एकत्रित की