________________ (44) हय! विहिणा संसारे महिलारूवेण मंडिजं पासं / बन्झन्ति जाणमाणा अयाणमाणा वि बन्झन्ति // यदि मुझ से कोई पूछे कि-जगत में शुरवीर कौन है ! तो मैं यही उत्तर दूंगा कि-स्त्रीचरित्र से जो खंडित नहीं होता है, वही शूरवीर है। __हे मव्यो ! स्त्री का चरित्र अति गहन है। हम शास्त्रीय कथाओं से जानते हैं कि जो महापुरुष जगत के आधार रूप * समझे जाते थे, वेस्त्री चरित्र की मास में फंस कर लोकलज्जा को -छोड़ बैठे थे और दुःख के पात्र बने थे। आजकल भी हम ऐसे कई उदाहरण देखते हैं। एक वार राजा मुंन मिक्षा माँगने के लिए गया था। उस समय एक स्त्री ने मंडक-रोटी के दो टुकड़े किये। उसमें से “घृत के बिन्दु नीचे टपकने लगे। यह देखकर मुंजराजा के मन में कल्पना उठी रे! रे! मंडक! मा रोदीर्यदहं खण्डितोऽनया। राम-रावण-मुञ्जायाः स्त्रीभिः के के न खण्डिताः // भावार्थ-हेमंडक.! तुझ को इस स्त्री ने खंडित किया -इसलिए मत रो। स्त्री ने तुझ को ही खंडित नही किया है। राम, -रावण और मुंन आदि भी-यानी सारे संसार के पुरुष भी स्त्रियों से खंडित हो चुके हैं।