________________ गये थे। वे भरत राजा की आज्ञा से चिढ, क्रोध दावानल से जल, मान भुजंग से डसे हुवे, मायाजाल में फंस और मोह महा मल्ल से पराजित होकर, गये थे। मगर जैसे ही उन्होंने भगवान के दर्शन किये, उनके सारे उक्त विशेषण नष्ट हो गये। वे शान्त हो, हाथजोड़, मानमोड़, विनय से नम्र बन, वंदना करके नीचे बैठ गये। भगवान ने केवलज्ञान से सब कुछ जान कर, एक अंगारक का उन को दृष्टान्त दिया। उस दृष्टान्त का सार यह है-“एक अंगारदाहक-कोयला बनानेवालाअपने पीने जितना पानी लेकर वन में, जहाँ कोयला बनाने की भट्ठी थी-गया। मगर गरमी का जोर था इसलिए उसने आवश्यकता से विशेष पानी पी लिया और पानी खतम कर दिया। प्यास ने उसे बहुत सताया / इसलिए वह अपने घर की ओर रवाना हुआ। ताप था, प्यास थी, इस से विशेष घबरा कर, मार्ग में एक छायादार वृक्ष के नीचे बैठ गया। थोड़ी ही देर में उसको नींद आगई / उसे स्वप्न आया। स्वप्न में वह, प्यासा था इसलिए, पानी पीने के लिए चला। नदी, सरोवर, कुए आदि का सारा पानी पी गया, मगर उसकी प्यास नहीं बुझी। फिर उसने एक वन में एक ऊजड़ कुआ देखा / वह उस पर गया। घास की पूली के द्वारा उस में से पानी निकालने लगा / और घास में थोड़े जलबिन्दु लग कर आते थे उन्हें पीने लगा।"