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श्रात्मा एक महान प्रवासी
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दूसरा आदमी रेल द्वारा सफर करे तो ३० मील फी घंटे जाये । चौबीस घंटे में ७२० मील जाये और एक महीने तक लगातार सफर करे तो २१६०० मील की दूरी तय कर लेगा । पचास वर्ष में १,२९,६०,००० मील की यात्रा हो जायेगी ।
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विमान में सफर करने वाला घटे में ३०० से ४०० मील जाता है अब नये 'जेट' विमान निकले है, वे ६०० मील प्रति घंटे जाते है-अर्थात् उनमें सफर करने वाला रेल से बीस गुना सफर करे और पचास वर्ष में २५,९२,००,००० ( पच्चीस करोड़ बानचे लाख ) मील का सफर करे । अगर वह सौ वर्ष तक प्रवास करे तो उससे दूना यानी ५१,८४,००,००० ( इक्यावन करोड़ चौरासी लाख ) मील का प्रवास हो । परन्तु, आत्मा के प्रवास के सामने यह प्रवास किसी बिसात में नहीं है । मनुष्य का शरीर छोड़कर, देवलोक में जानेवाली आत्मा या देवलोक से चलकर मनुष्य-लोक में आने वाली आत्मा इससे असख्य गुना अधिक प्रवास करती है ।
मनुष्य-लोक और अनुत्तर - विमान के बीच कुछ कम सात 'रज्जु' का अन्तर है । इस एक 'रज्जु' का माप कितना है जानते है ? निभिप मात्र में एक लाख योजन जाने वाला देव ६ महीने में जितना फासला तय करे उसे एक रज्जु कहते है । अथवा, ३८१२७९७० मन का एक भार होता है,
* इस विश्व की ऊचाई चौदह राज की है, इसलिए वह चौदह राजलोक कहलाता है। उसमें एक राज का माप एक रज्जु -प्रमाण है । विश्व में सबसे ऊपर मिद्धशिला है । उसके नीचे पाँच अनुत्तर विमान हैं, उनके नीचे नव ग्रैवेयक है, उनके नीचे वारह देवलोक हैं, उनके नीचे चन्द्र-सूर्यादि है, और उनके नीचे मनुष्यलोक है इतना भाग सात राजलोक में आता है- यानी अनुत्तर - विमान और मनुष्य-लोक के बीच की दूरी कुछ कम सात रज्जु की है ।
मनुष्य लोक के नीचे व्यतर और भवनपति के आवास है और मात नरक के स्थान हैं । शेष कुछ अधिक सात रज्जु में यह सब समा जाता है |