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यड्सडिवडणपडिसदियडायलजियसाहदामणो नदिममममोरगुलकलखपूरिखसमलकाण णा गिरिसरिदरिसरंतसालयवाणरमुकणासणो महियलघुलियमिलियासियवासाबरपोर सयोधणचिदिबखाबखणिखेश्यरिणसिलिवकरावही विमसियाणवकर्यदलयसमयय पिंजरियहिरिवहो सुखञ्चावतारणालकियब करिलरियनदादो विवरमुहोयरतजलयर वहारोसियसविसविसहरो पियपियपियलवतववादयग्निवसायविंडसरतारूबलोटा साबालमुषिलवालसभा चपमन्यचार व टाचिरिणिपाणियाउसो सहाय विजसकालमिजण्ययारियादमा मुगडाला गजवकलचतिलेसानादिमासया पल सरगविवणिसकणलण्डणिवखियमुयसमासा या ववगयतामह मिलवरूहसिरिणखा मासही जायाधिविहवाण्डमवाशुश्मयसाहणामहशिनातिपेविजणवसबलिउमठमिहीं पिराधिनदिलीथमपजिमवलयलअहमदिपरिसNिY
12कितश्पडफाडवा रविष्फरंतुणिरुलेसावणरवकम्हरियारूपक्दिासदेवदेवर्किगजाश्चरिसशगयणहमति
तथा वज्र और बिजलियों के पतन से ध्वस्त पर्वत पर गरजते हुए सिंहों से भयंकर था, जिसमें नाचते हुए कलम (सुगन्धित धान्य), तिल, अलसी, ब्रीहि और उड़द से युक्त हो उठी। जिस पर फल के भार से झुकी मतवाले मयूरों के सुन्दर शब्द से समस्त कानन गूंज उठा था, जिसमें पहाड़ की नदियों और घाटियों में बहते हुई बालों के कणों के लालची हजारों शुक गिर रहे हैं, जिससे भोगभूमि के कल्पवृक्ष विदा हो चुके हैं, और हुए जलों के स्वरों से भयभीत वानर शब्द कर रहे थे, जो धरती में फैले हुए और मिले हुए डंडुह (निर्विष जो (भूमि) राजा की लक्ष्मी की सखी है, ऐसी वह भूमि विविध धान्यों, वृक्षों और लतागुल्मों से प्रसाधित साँप), सर्पो और मेंढकों को पोषण देनेवाला था, जो कीचड़ की कोटरों और गड्ढों में रखे हुए मृगशावकों हो उठी। का वध करनेवाला था, जिसमें खिले हुए नवकदम्ब के कुसुमों से निकली हुई धूल से दिशापथ पोले थे, घत्ता-उस भूमि को देखकर जनपद अहंकार छोड़कर शीघ्र ही वहाँ चला जहाँ लक्ष्मी के स्तनों से इन्द्रधनुष के तोरणों से अलंकृत मेघरूपी गजों से, जिसमें आकाशरूपी घर भरा हुआ था। बिलों के मुख पर सटा है वक्षःस्थल जिसका, ऐसा नाभि नरेन्द्र विराजमान था॥१३॥ पड़ते हुए जलप्रवाहों से जिसमें विषैले विषधर क्रुद्ध हो रहे थे। जिसमें पिउ-पिउ-पिउ बोलते हुए पपीहों के द्वारा जल की बूंदें मांगी जा रही थीं। सरोवरों के किनारों पर उल्लसित होती हुई हंसावली की ध्वनियों जनों ने कहा-"यह तड़-तड़ करके क्या गिरता है जो धरती को फोड़ रहा है? अत्यन्त चमकता हुआ के कोलाहल से जो युक्त था। जो चम्पक, आम्र, चार, चव, चन्दन और चिंचिंणी वृक्षों के प्राणों का सिंचन यह लोगों को डराता है। वक्र यह हरा और लाल क्या दिखाई देता है? हे देव, हे देव, यह क्या गरजता और
करनेवाला था, ऐसा पावस जिस कुलकर के समय जगत् में शीघ्र बरस गया। धरती मूंग, कुलत्थ, कंगु, जौ, बरसता है? Jain Education International
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