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१. मानुषोत्तर पर्वत के कटों व देवों के नाम (ति.प.४।२७६६+२७७६-२७७२), (र. वा. ।३। ३४।६।१६७।१४), (ह. पु. ।५।६०२-६१०),
(त्रि. सा. ४२)
११नन्वीश्वर द्वीप की वापियां व उनके देय पूर्वादि क्रम से (ति. प.१५।६३-७८), (रा. वा. ३१३५-१६८१),
(ह. पु. ५१६५६-६६५), (त्रि. सा. १६६-६७०)
दिशा
दव
दिशा
संति . प. त्रि. सा.
रा. पु.
वंडूर्य
यशस्वान
नन्दा
सौधर्म
अश्मगर्भ
यशस्कान्त
ऐशान
सौगन्धी
यशोधर
नन्दवती नन्दोत्तरा नन्दिघोष
चमरेन्द्र
दक्षिण
स्चक
वैरोचन
लोहित
नन्द (नन्दन) नन्दोत्तर प्रशनिघोष
दक्षिण
अरजा
वरुण
विजया विजयन्ती
अंजन
विरजा
यम
पश्चिम
अंजनमूल
सिद्धार्थ
अशोका
कनक
बीतशोका
रजत
पश्चिम
विजया
वैश्रवण (क्रमण) मानस (मानुष्य)
सुदर्शन मेष (अमोघ)
उत्सर
स्फटिक
वेजयन्ती
जयन्ती सोम अपराजिता | वैशधव अशोका सुप्रबुद्धा वेणुताल
कुमुदा वरुण (घरण) पुण्डरी किणी | भूतानन्द प्रभंकर
वरुण
अंक
जयन्ती
प्रबाल
अपराजिता
सुप्रबुद्ध स्वाति
माग्नेय | १३
तपनीय
उत्तर
रम्या
रत्न
वेणु
रमणीय
सुमना
यम
ईशान
प्रभंजन
बेणुधारी
सुप्रभा
प्रानन्दा
सोम
बच
हनुमान
सर्वतोभद्रा
सुदर्शना
बैश्रवण
वायव्य
वेलम्ब
बेलम्ब
नैऋत्य
सर्वरत्न
। वेणुधारी (वेणुनीत)
मोट-दक्षिण के कूटों पर सौधर्म इन्द्र के लोकपाल, तथा
उत्तर के कूटों पर ऐशान इन्द्र के लोकपाल रहते हैं ।
नोट-रा. दा...ह. पु. में सं० १५, १७ १८ के स्थान
पर क्रम से सर्वरत्न, प्रभजन व वेलम्ब नामक कट २३००.००-६१६६६३-२२०८३३३३
हैं। तथा वेणुतालि प्रभंजन व बेलम्ब ये क्रम से उनके देव हैं।