________________
३. पुष्करद्वीप की नदियां
उत्तर दक्षिण लम्बाई
नाम
ति.प.४|गा.
आदिम
मध्यम
मध्यम
अन्तिम
२८५०
२८५८
सामान्य नियम-सर्व नदियां जम्बूद्वीप वाली से चौगुनी विस्तार युक्त हैं । (ति. प. ।४।२७८८) दोनों बाह्य विदेहों की विभंगाद्रहवती व अमिमालिनी
१६६ १५७६३६ : १६६१८ १५२१२ | १६६२०५३३५६ ग्रहवती व फेनमालिनी
२००१७५५३३६ । २०७१६६४१३ | २००२२३३४१५ गंभीर मालिनी व पंकावती
२०४१९३५.५४ : २०४२१७४२
२०४२४१२३१४ दोनों अभ्यन्तर क्देिहों का विभंगाक्षीरोदा | व उन्मत्तजला
१४६१२५१३६३ । १४६१०१३३२३ । १४६०७७४६४ मतजला व सीतोदा
१४२१०७२३६५३ १४२०८३३३३३ | १४२०५६५२१ तत्तजला व अन्तर्वाहिनी
१३८०८६२१६ १३८०६५४३५३ १३५०४१५,१६
२८६६
२८८६
२६०२
हो दूसरे को भी समझकर किसी का भी विश्वास नहीं करता है, स्तुति करने वालों को धन देता है, और समर संघर्ष में मरने की इच्छा करता है, ऐसा प्राणी कापोत लेया से संयुक्त होकर धर्मा से लेकर मेत्रा पृथ्वी तक में जन्म लेता है।
इस प्रकार आयु बंधक परिणामों का कथन समाप्त हुआ।
इन्द्रक, श्रेणी बद्ध और प्रकीर्णक वितों के ऊपर अनेक प्रकार की तलवारों से युक्त, अचं वृत और अयोमुम्न वाली जन्म भूमियां हैं। ये जन्म भूमियां धर्मा पृथ्वी को आदि लेकर तीसरी पृथ्वी तक उष्ट्रिका, कोथली, कुम्भी मुद्गतिका, मुद्गर, मुदंग और नालि के सदृश हैं।
चतुर्थ और विम पत्री में जन्म भूमिकों का आकार गाय, हाथी, घोड़ा, भस्वा, अवज्ञपुट, अम्बरीष और द्रोणी जैसा है।
छठी और सातवीं पृथ्वी की जन्म भूमिपा झालर (वाविशेष), मल्लक (पाविशेष), पात्री, केयूर, मसूर, शारणक, किलिज (तरण की बनी बड़ी टोकरी), ध्वज, द्वीपी चकचाक, शृङ्गाल, अज, खर, करम, संदोलक (झूला), और (रोख) के सदृश हैं। ये जन्म भूमियां दुष्प्रेक्ष्य एवं महाभयानक हैं।
उपयुक्त नारकियों की जन्मभूमियां अन्त में करोत के सदृश, चारों तरफ से गोल, मज्जवमयी (?) और भयंकर हैं।
बारी, हाथी, भंस, घोड़ा, गधा, ऊंट, बिलाव और मढ़े आदि के सड़े-गले शरीरों की दुर्गन्धो को अपेक्षा नरकों में अनन्तमुणी दुर्गन्ध है।
उपयुक्त जन्मभूमियों का विस्तार जघन्यरूप से पांच कोस, उत्कृष्ट रूप से चार सौ कोस और मध्यम रूप में दस-पन्द्रह कोस प्रमाण हैं।