Book Title: Bhagavana  Mahavira aur unka Tattvadarshan
Author(s): Deshbhushan Aacharya
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 964
________________ अर्जुन दृष्टि से जैन श्रष्टमूल गुण शुभ विचार प्रेम व्यवहार, शुद्ध थाहार और निरोगता के उपयोगी मार्ग १. माँस का त्याग: International commission के अनुसार मनुष्य का भोजन मांस नहीं है। जिन पशुओं का भोजन मांस हैं वे जन्म से ही अपने बच्चों को मांस से पालते हैं, यदि मनुष्य अपने बच्चों को जन्म मे मांस खिलाये तो वे जिन्दा नहीं रह सकते मनुष्य के दांत, आंख, पंजा नाखून नसें हाजमा और शरीर को बनावट, मांस खाने वाले पशुओं से बिल्कुल विपरीत है। मनुष्य का कुदरती भोजन निश्चित रूप से मांस नहीं है। Royal Commission के अनुसार मांस के लिये मारे जाने वाले पशुओं में साधे उपेदिक के रोगी होते हैं इसलिये उनके मांस भक्षण से मनुष्य की तपेदिक का रोग लग जाता है। उनके अनुसार मांस को उम करने के लिए शाकाहारी भोजन से चार गुणा हाजमे की पति की आवश्यकता है इसलिए संसार के प्रसिद्ध डाक्टरों के शब्दों में बदहज्मी दर्दगुर्दा पन्तड़ियों की बीमारी जिगर की खराबी यादि अनेक भयानक रोग हो जाते हैं। Dr. Josiah Oldfield के अनुसार १६ प्रतिशत मृत्यु नांस भक्षण से उत्पन्न होने वाली बीमारियों के कारण होती है, इसलिए महात्मा गांधी जी के शब्दों में मांस भक्षणं अनेक भयानक बीमारियों की जड़ है। मांस से शक्ति नहीं बढ़ती । घोड़ा इतना शक्तिशाली जानवर है संसार के इंजनों की शक्ति को इसकी शक्ति से किया जाता है। वह भूखा मर जायेगा परन्तु मांस भक्षण नहीं करेगा। वैज्ञानिक खोज से यह सिद्ध है- 'सम्जी में नांस से पांचगुणा अधिक शक्ति है। Sir (Willian Cooper C. I. E.) के कथनानुसार घी, गेहूं, चावन, फल आदि मांस से अधिक शक्ति उत्पन्न करने वाले हैं। यह भी एक भ्रम ही है कि मांस-मक्षी वीरता से युद्ध लड़ सकता है। प्रो० राममूर्ति, महाराणा प्रताप, भीष्म पितामह, जुन मादि योद्धा क्या मांसभक्षी थे। मांस भक्षण के लिये न मारा गया हो, स्वयं मर गया हो, ऐसे प्राणियों का मांस खाने में भी पाप है, क्योंकि मुर्दा मांस में उसी जाति के जीवों को हर समय उत्पत्ति होती रहती है जो दिखाई भी नहीं देते और वे जीव मांस भक्षण से मर जाते हैं । वनस्पति भी तो एक इन्द्रिय जीव है फिर अनेक प्रकार की सब्जियां खाकर अनेक जीवों की हिंसा करने की अपेक्षा 1. Inter-Allied Food Commission Report London, July 8, 1918. 2. Prof. Moodia Bombay A, League Publication No. XVII P. 14. 3-4. Meat Eating A study (South 1.H. League) Vol. I pp. 3-5. 5. Royal Commission on T. B. reports that it is a cognisable fact about 50% of the cattle killed for food are tuberculous and T. B. is infectious-Bombay H. League Tract No. 17. p. 19. 6. Science tells us that 4 times as much energy has to be expended to assinilate meat than vegetable products. --Ibid. p. 15. 7. World-fame Medical Experts Graham, OS. Fyler. J.F. Newton, J. Smith etc. Corroborate the fact that meat cating causes various discases such as Rheumatism, Paralysis, Cancer, Pulminary, Tuberculosis, Constipation, fever, Intestinal worms etc. -Meat Eating, A study. p. 15. 8. Flesh eating in one of the most scrious causes of diseases, that carry 99% of the people that are born. -Ibid. p. 15. 9. Mahatma Gandhi: Arogya Sadhan. 10. Many people erroneously think that there is more food value in meat. Scientists after careful investiagation have found more food value in one pouud of peanuts that in 5 pounds of flesh food - Health & Longevity (Oriental Watchman, Poona ) p. 35. ८६० W

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