Book Title: Bhagavana  Mahavira aur unka Tattvadarshan
Author(s): Deshbhushan Aacharya
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 975
________________ पूर्ण सहमति से किये जाते हैं। उन प्रयोगों में पशुओं की रीढ़ की हड्डी के ऊपर खाल और मांस को हटाकर उनकी नाड़ियों को उत्तेजित करके उसको फासफोरस से जलाया जाता है। फिर उनको उबलते हुए पानी में डाल दिया जाता है यह सब कुछ उन मूक पशुत्रों को बेहोश किये बिना किया जाता है। इन प्रयोगों के चिकित्सा में उपयोग के विषय में भी निश्चय से कुछ नहीं कहा जा सकता । इन बन्दरों के खून में से इस प्रकार निर्दयता पूर्वक निकाले हुए पानी (Serum) को शिशु पक्षाघात में दिया जाता है। इस औषधि के विषय में खुब बढ़ा-चढ़ाकर विज्ञापन निकाले जाते हैं। किन्तु संयुक्त राज्य अमेरिका में स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि इस प्रकार निर्दयता पूर्वक निकाले हुए किसी भी सीरम ने शिशु पक्षाघात को अच्छा नहीं किया। प्राणियों पर दया तथा अव्यर्थ महौषधि न होने के कारण बन्दरों के ऊपर इस निर्दय तथा व्यर्थ प्रयोग का विरोध बड़े प्रभावशाली शब्दों में किया गया। इस विषय में निमोनिया की शुरक्षा समिति तथा जीपित पाणी शल्य विरोधी समिति के प्रधान ने लिखा है--'भारत के तीर्थस्थान आध्यात्मिक सौन्दर्य और उन्नति के भण्डार हैं। वह मनुष्यों के अतिरिक्त पशुमों को भी प्रेमभाव से रहने की शिक्षा देते हैं, अतएव ऐसी शिक्षा देने वाला भारत पवित्र नियम का उल्लंघन कुत्सित और नीच टिन्नेबली जिले में तो इतनी अमानुषिकता की जाती है, कि वहां एक गर्भवती भेड़ के गर्भाशय को फाड़कर उसमें से बच्चों को इसलिए निकाल लिया जाता है कि उन्हें देबकोट्टा में कोयेमम्मापर, मायावरम में | मरियम्मापर और पालमकोटा में प्रयिर___ थम्मेन पर बलि चढ़ाया जाता है। MOHAR Mahe 2. विदेशी पैसे के लिए नहीं कर सकता। हम संसार के सभी धमों के नाम पर आपसे दया, सत्य और न्याय के लिए अपील करते हैं। उन सब लोगों को यह बड़ी भारी अभिलाषा है कि भारतवर्ष के बन्दरों का बाहर भेजा जाना एक दम बन्द हो जावे। यद्यपि स्पेन आन्तरिक युद्ध के कष्ट से जीवन और मृत्यु के सन्धि स्थल पर खड़ा था, किन्तु उन मक प्राणियों के कष्ट से उसका हृदय भी पिघल गया था। उसकी जीव दया सभा के सितम्बर १९३७ के एक पत्र में स्पेन के उन पशुओं की रक्षा करने की अपील की गई है, जो अपने मालिकों के स्पेन के नगरों की सूनसान गलियों में खाना ढूंढते हुए घूम रहे हैं। खाना न मिलने के कारण उक्त पशुओं के पंजर निकल आए हैं। उन पशुओं में अनेक उच्च नस्ल के कुत्ते भी हैं, जो स्पेन की बम वर्षा में अनाथ हो गए हैं। माड्रिड में केवल एक समिति पशुरक्षा का कार्य करती है, किन्तु बहु अत्यन्त यत्नशील होती हुई भी उनकी बढ़ी हई संख्या के कारण उनकी प्रावश्यकता की पूर्ति करने में असमर्थ हैं। इसलिए उक्त समिति ने संसार भर के दयालू पुरुषों से अपील की है कि वह अपनी चंचल लक्ष्मी का कुछ भाग स्पेन भेजकर उन पशुओं की रक्षा के कार्य में सहायता दें। कनाडा में भी पशमों के प्रति निर्दयता पूर्ण व्यवहार के विरुद्ध और पान्दोलन किया जा रहा है । रोटेटो हयुमेन सोसाइटी के मैनेजिंग डाइरेक्टर मिस्टर जान मैकनल ने पशुओं के ऊपर वैज्ञानिक प्रयोग किये जाने का विरोध जोरदार शब्दों

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