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मनाई है। इस मुकद्दमे में हाईकोर्ट इलाहाबाद के योग्य जज महोदय ने तजबीज़ किया कि किसी स्थान पर शान्ति स्थिर रखने के अधिकारों के बल पर किसी खास सम्प्रदाय के लोगों को किसी खास जगह पर जाने की ग्राम मुमानियत करने का सुपरिन्टेन्डेन्ट पुलिस को अधिकार था। इस तजबीज के कारण वही थे जो मुकद्दमा सरकार बनाम किशनलाल में दिये गये हैं । ( ILR, Allahabad Vol. 39p. 131) शान्ति स्थिर रखने का भाव भादमियों को घरों में बन्द करने का नहीं है।
यही विज्ञप्तियां दिगम्बर जैन साधुनों से भी सम्बन्ध रखती हैं। वह चाहे अकेले निकलें और चाहे जुलूस की शक्ल में सरकारी अफसरों का कर्तव्य है कि उनके इस हक को न रोके । दिगम्बर जैन साधुगण सारे ब्रिटिश, भारत और देशी रियासतों में स्वतन्त्रता से राजा प्रमते रहे हैं, कहीं कोई रोक-टोक नहीं हुई और न इस सम्बन्ध में किसी की कोई शिकायत हुई। अतएव सरकारी अफसरों का तो यह मुख्य कर्तव्य है कि वे दिगम्बर मुनियों को अपना धर्म पालन करने में सहायता पहुंचायें। गतकाल में जितने भी शासक यहां हुये उन्होंने यही किया; इसलिये अब इसके विरुद्ध ब्रिटिश-शासक कोई भी बर्ताव करने के अधिकारी नहीं हैं। उनको तो जैनों को अपना धर्म निर्वाध पालने देना ही उचित है।
(२७)
विगम्बरत्व और आधुनिक विद्वान् 'मनुष्य मात्र को प्रादर्श-स्थिति दिगंबर हो है । मुझे स्वयं नग्नावस्था प्रिय है।"
महात्मा गांधी संसार के सर्वश्रेष्ठ परुष दिगम्बरत्व को मनुष्य के लिए प्रावृत सुसंगत और यावश्यक समझते हैं। भारत में दिगम्बरत्व का महत्व प्राचीनकाल से माना जाता रहा है । किन्तु अब आधुनिक सभ्यता की लीलास्थलो यूरोप में भी उसको महत्व दिया जा रहा है । प्राचीन यूनान वासियों की तरह जर्मनी, फ्रान्स और इ गलैण्ड आदि देशों के मनुष्य नंगे रहने में स्वास्थ्य और सदाचार की वद्धि हुई मानते हैं । वस्तुतः बात भी यही है । दिगम्बरत्व यदि स्वास्थ्य और सदाचार का पोषक न हो तो सर्वज्ञ जैसे धर्म प्रवर्तक मोक्ष मार्ग के साधन रूप उसका उपदेश ही क्यों देते ? मोक्ष को पाने के लिये अन्य आवश्यकताओं के साथ नंगा तन और नंगा मन होना भी एक मुख्य प्रावश्यकता है । धेष्ठ शरीर ही धर्म साधन का मूल है और सदाचार धर्म की जान है। तथा यह स्पष्ट है कि दिगम्बरत्व' श्रेष्ठ-स्वस्थ्य शरीर और उत्कृष्ट सदाचार का उत्पादक है। अब भला कहिये वह परम धर्म की आराधना के लिये क्यों न अावश्यक माना जाय ? आधुनिक सभ्य संसार आज इस सत्य को जान गया है और वह उसका मनसा, वात्रा, कर्मणा कायल है !
यूरोप में प्राज सैवाड़ों सभायें दिगम्बरत्व' के प्रचार के लिए खुली हुई हैं, जिनके हजारों सदस्य दिगम्बर-वेष में रहने का अभ्यास करते हैं ! बेडल्म स्कूल, पोटर्स फील्ड (हैम्पशायर) में बैरिस्टर, डाक्टर, इन्जीनियर, शिक्षक आदि उच्च शिक्षा प्राप्त महानुभाव दिगम्बर वेष में रहना अपने लिये हितकर समझते हैं। इस स्कूल के मन्त्री श्री वॉर्ड (Mr.N.F. Barford) कहते हैं कि:---.
Next year, as 1 say shall be even more advanced, and in time people will get quite used to the idea of wearing no clothes at all in the opcii and will realise its enormous value 10 liealth. (Amrita Bazar Patrika, 8-8 31)
भाव यही है कि एक साल के अन्दर नंगे रहने की प्रथा विशेष उन्नत हो जायगी और समयानुसार लोगों को खुलेमाम कपड़े पहनने की आवश्यकता नहीं रहेगी। उन्हें नगे रहने से स्वास्थ्य के लिए जो अमित लाभ होगा वह तब ज्ञात होगा।
१, NJ. pp. 19-23