Book Title: Bhagavana  Mahavira aur unka Tattvadarshan
Author(s): Deshbhushan Aacharya
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 919
________________ चरणपादुका को प्रतिष्ठा सं० १६७७ में हुई है। दि० धर्मशाला का पुजारी प्रतिदिन इस जल मन्दिर में अपनी प्रतिमा तथा चरणपादुका का अभिषेक पूजन करता है। इस जल मन्दिर में श्वेताम्वरीय आम्नाय के अनुसार वासुपूज्य स्वामी के चरण, जोबोसी, चरण, चौवीस स्थानों पर पृथक-पृथक भौजीस भगवानों के चरण एवं महावीर स्वामी के चरण कई स्थानों पर हैं। यहाँ मूलनायक प्रतिमा स्वामी महावीर भगवान की है। यह मन्दिर प्राचीन और दर्शनीय है । धर्मवाला के मन्दिर के सामने वीर सं० २४०४ में गया निवासी श्रीमान सेठ राम बूलाल जी ने मानस्तम्भ बनवाकर इसकी प्रतिष्ठा करायी है। कमलदह (गुलजारबाग ) यह सेठ सुवर्धन का निर्वाणस्थान माना गया है। सेठ सुदर्शन ने इस स्थान मुनि श्मशान में ध्यानस्थ थे, आकाशमार्ग में रानी प्रभा जीव जो ही विमान आया कि वह मुनि के योगप्रभाव से आगे नहीं बढ़ पाया । उसने उन्हें भयानक उपसर्ग दिया, परन्तु धीरवीर सुदर्शन मुनिराज ध्नान में सुमेर की तरह अटल रहे। देवों ने उनका उपसर्ग दूर पर पोर तपश्वरण किया था। जब सुदर्शन हुआ था जा रहा था। मुनि के ऊपर ज्यों कुअवधिज्ञान से पूर्व शत्रुता को वगत कर J किया मुनि ने योग निरोध कर गुगल द्वारा घातिया कर्मों को नष्ट कर केवलज्ञान प्राप्त किया। इन्होंने गुलजारबाग - कमलवह क्षेत्र से पौष शुद्ध ५ के दिन अपराहन में निर्माण पद पाया। गुलजारबाग स्टेशन से उत्तर की ओर एक धर्मशाला औौन्दिर है। धर्मशाला से थोड़ी ही दूर पर मुनि सुदर्शन का निर्वाण स्थान है । कुण्डलपुर --- यह भगवान महावीर का जन्म स्थान माना जाता है, पर अब अनेक ऐतिहासिक प्रमाणों के आधार पर वैशाली का कुण्डलग्राम भगवान की जन्मभूमि सिद्ध हो चुका है। यह स्थान पटना जिले के अन्तर्गत है और नालन्दा स्टेशन से डेढ़-दो मोल को दूरी पर है। यहां पर धर्मशाला के भीतर विशाल मन्दिर है वेदी में मूलनायक प्रतिमा महावीर स्वामी की है, इसको प्रतिष्ठा माघ शुक्ला १३ सोमवार सं० १९८२ में हुई है। तीन प्रतिमाएँ पार्श्वनाथ स्वामी की है, जिनकी प्रतिष्ठा वैशाख सुदी ३ सं० १५४८ में हुई है। इस वेदी में ७ प्रतिमाएं और एक सिद्ध परमेष्ठी की प्राकृति है । स्थान रमणीय और शान्तिप्रद है । आत्म कल्याण करने के लिए यह स्थान सर्वथा उपयोगी है। अब तो नालन्दा में पाली प्रतिष्ठान के खुल जाने से इस स्थान की महत्ता वह गयी है। वंशाली भगवान महावीर का जन्मस्थान यही प्रदेश है। वैशाली संघ ने इस स्थान के अन्वेषण में अपूर्व श्रम किया है। यहाँ से खुदाई में भगवान महावीर स्वामी की एक प्राचीन मनोज्ञ प्रतिमा प्राप्त हुई है। श्राजकल यहां पर भगवान महावीर का विशाल मन्दिर बनाने की योजना चल रही है। मन्दिर बनाने के लिए लगभग १३ बीघे जमीन स्थानीय जमींदारों से प्राप्त हो चुकी है। यहाँ मन्दिर प्रादि की व्यवस्था के लिए "वैशाली तीर्थ कमेटी" का संगठन हुआ है। वैशाली संघ के तत्वावधान मैं बिहार सरकार यहाँ "प्राकृत प्रतिष्ठान" खोलने जा रही है। यह स्थान मुजफ्फरपुर जिले में पड़ता है। कुलुचा पहाड़ यह पर्वत गया से ३८ मील हजारीबाग जिले में है। यह पहाड़ जंगल में है, इसकी चढ़ाई दो मील है। यहाँ सैकड़ों जैन मन्दिरों के भग्नावशेष पड़े हुए हैं। यहां १०वें तीर्थंकर श्री शीतलानाथ ने तप करके केवलज्ञान प्राप्त किया था यहाँ पाप नाथ स्वामी की एक अखण्डित्यन्त प्राचीन पद्मासन् २ फुट ऊंची कृष्णवर्ण की प्रतिमा है। इस प्रतिमा को आजकल जैनेतर द्वारपाल के नाम से पूजते हैं। यहां एक छोटा दि० जैन मन्दिर पांच कलशों का शिखरबन्द बना हुआ है, यह मन्दिर प्राचीन है इसमें सन् १९०१ श्री सुपार्श्वनाथ भगवान की इस मोड़ी पद्मासन मूर्ति विराजमान थी परन्तु अब केवल पासन ही रह गया है । मन्दिर के सामने पर्वत पर एक रमणीय ३००६० गजका सरोवर है। यहाँ पर अनेक खण्डित जैन मूर्तियों के अवशेष पढ़े हुए हैं। एक मूर्ति एक हाथ की पश्चासन है, आसन पर संवत् १४४३ लिखा मालूम होता है। यहां की सब से & ८१३

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