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६. प्रढाई द्वीप के वन खण्डों का विस्तार- १. जम्बूद्वीप के वनखण्ड
नाम
विस्तार
ति. प. | रा. वा.।३।१८ | ह. पु. १५॥ | त्रि. सा.। | ज. प. 1४/गा. । ।१३ पृ०., गा. | गा. अ. गा.
जम्बूद्वीप जगती के अभ्यन्तर भाग में विजयाधं के दोनों पात्रों में हिमवान के दोनों पावों में
विस्तार
नाम
पूर्वापर
उत्तर दक्षिण
देवारण्यक
। २६२२ यो.
१६५६२१४ यो. | २२२० - १७७१२
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२८२
x
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७१५
भूतारण्यक
देवारण्यकवत्
आर पटल में स्थित जीवों के शरीर का उत्सेध पैतीस धनुष, दो हाथ, बीस अंगुल और सात से भाजित चार भाग प्रमाण है। आर प. में ध.३५, १.२, अं. २०४।
चतुर्य पृथ्वी के मार नामक पटन में रहने वाले जीवों के शरीर की ऊंचाई चालीस धनुष और सात से भाजित एक सौ बीस अंगुल प्रमाण है। मार प. में छ. ४०, अं ० (१७१)।
चतुर्थ पृथ्वी के तार इन्द्रक में स्थिति जीवों के शरीर का उत्सेध चवालीस धनुष, दो हाथ और सात से भाजित छयानवें अंगुल मात्र है। तार प. में घ. ४४, ह. २, अं. (१३१) ।
चतुर्थ गृथ्वी में तस्य (चर्चा) इन्दक में नारकियों के शरीर का उत्सेध उनचास धनुष और सात से भाजित बहत्तर अंगुल मात्र है। चर्चा प. में ध. ४६, अं. (१०)।
तमका इन्द्रक में स्थित जीवों के शारीर का उत्सेध तिरेपन धनुष, दो हाथ और सात में भाजित अड़तालीस अंगुल प्रमाण है । तमक प. में ध. ५३, ह. २ अं.१(६)।
चतुर्थ पृथ्वी के बाद इन्द्रक में नारकियों के शरीर का उसेध अठ्ठावन धनुय और सात से भाजित बौबीस अंगुल है। बाद प. में ध.
चतुर्थ पृथ्वी के खलखल नामक अन्तिम इन्द्रक में नारकियों के शरीर का उत्सेष बासठ धनुष और दो हाथ प्रमाण है । खलखल प. में
बोनरागदेव ने पांचदी पृथ्वी में क्षय घ वृद्धि का प्रमाण बारह धनुष और दो हाथ बतालाया है। ध. १२, ह. २, हा. वृ.
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