________________
बक्षार
। जम्बूद्वीपवत् निम्नोक्त । जम्बुद्वीप से | ४७८+ उपरोक्त' सामान्य
नियम
दूना
गजदन्तअभ्यन्तर बाह्य •
.,
२५६१
५३३
जम्बूद्वीपवत् २५६२२७ । जम्बूद्वीपवत् | ५६६९५७
सुमेरु पर्वत
विस्तार
ल | मध्य ऊपर
०००० दे. लोक
पृथ्वीपर
८४००० ।
२५७७
६।१९५०२८
५१३
११११८
पाताल में
दृष्टि सं०१ की अपेक्षा विस्तार-१०,०००
दृष्टि सं. २ की अपेक्षा विस्तार. १५००
जम्बूद्वीप के मेस्वत्
नलिका
२५८३
मेघा पृथ्वी में थेणी बद्ध विनों का अन्तराल तीन हजार दो सौ उनचास पोजन और दो हजार धनुष है । ३२४६ योजन २००० दण्ड ।
चतुर्थ पय्वी में श्रेणी बद्ध बिलों का अन्तराल, बाईस हजार में चौ का भाष देने पर जो लब्ध पावे, उतने धनुष कम छत्तीस सौ छयासठ योजन प्रमाण है । ३६६५ यो, ५५५५५. दण्ड ।
धूम प्रभा पृथ्वी में श्रेणी बद्ध बिलों का अन्तराल चवालीस सौ अट्ठानवे योजन और छह हजार घनुष है। ४४९८ योजन ६००० दण्ड।
मश्रवी पृथ्वी में श्रेणी बद्ध बिलों का अन्तराल छह हजार नौ सौ अट्ठान- योजन और दो हजार धनुष है । ६६६८ पोजन २००० दण्ड ।
मघयो पृथ्वी में धेरपी' बद्ध विलों का अन्तराल यह हजार नौ सौ निन्यानवे योजन और एक योजन के तीसरे भाय प्रमाण है। ६६६६) यो.।
यह जो श्रेणी बद्ध बिलों का अन्तराल है उसे स्वस्थान में ममझना चाहिए । तथा पर स्थान में जो इन्द्रक बिलों का अन्तराल कहा जा चुका है, उसी को यहाँ भी कहना चाहिए। किन्तु विदोषता यह है कि लल्लंक और अनधि स्थान इन्द्रक के मध्य में जो अन्तराल कहा गया है उसमें से अधं योजन के छह भागों में से एका भाग कम यहाँ धेरणी बद्ध विनों का अन्तराल जानना चाहिए।
इस प्रकार श्रेणी बद्ध विलो का अन्तराल समाप्त हुआ।
धर्मा पश्ची में प्रकीर्णक बिलों का अन्तग़ल, इक्यानवें में छह के वर्ग का भाग देने पर जो लब्ध आये, उतने कोस कम छह हजार पांच सौ यो. प्रमाण है । यो. ६५१०- ४) यो. ६४६६ को. १९१।
वंशा पृथ्वी में प्रकीर्णक बिलों का ऊध्वनं अन्तराल दो हजार नो सौ निन्वानब मोजन और तीन सौ धनुष प्रमाण है । २९६ यो. ३००० दण्ड |