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आगम विषय कोश- २
अहोरात्रसंख्याज्ञान हेतु करणगाथा एतेषां चानयनाय इयं करणगाथाजुगमासेहिँउ भइए, जुगम्मि लद्धं हविज्ज नायव्वं । मासाणं पंचह वि, एयं राइंदियपमाणं ॥
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इह सूर्यस्य दक्षिणमुत्तरं वा अयनं त्र्यशीत्यधिकदिनशतात्मकम् । द्वे अयने वर्षमिति कृत्वा वर्षे षट्षष्ट्यधिकानि त्रीणि शतानि भवन्ति । पञ्च संवत्सरा युगमिति कृत्वा तानि पञ्चभिर्गुण्यन्ते जातान्यष्टादश शतानि त्रिंशानि दिवसानाम् । एतेषां नक्षत्रमास-दिवसानयनाय सप्तषष्टिर्युगे नक्षत्रमासा इति सप्तषष्ट्या भागो ह्रियते, लब्धाः सप्तविंशतिरहोरात्रा एकविंशति-रहोरात्रस्य सप्तषष्टिभागाः १ । तथा चन्द्रमासदिवसानयनाय द्वाषष्टिर्युगे चन्द्रमासा इति द्वाषष्ट्या तस्यैव युगदिनराशेर्भागो हियते, लब्धान्येकोनत्रिंशदहोरात्राणि द्वात्रिंशच्च द्वाषष्टिभागाः २ । एवंयुग दिवसानमेवैकषष्टिर्युगे कर्ममासा इत्येकषष्ट्या भागे ह लब्धानि कर्ममासस्य त्रिंशद्दिनानि ३ । तथा युगे षष्टिः सूर्यमासा इति षष्ट्या युगदिनानां भागे हृते लब्धाः सूर्यमासदिवसास्त्रिंशदहोरात्रस्यार्द्धं च ४ । तथा युगदिवसा एव अभिवर्द्धितमासदिवसानयनाय त्रयोदशगुणाः क्रियन्ते जातानि त्रयोविंशतिसहस्त्राणि सप्त शतानि नवत्यधिकानि, एषां चतुश्चत्वारिंशैः सप्तभिः शतैर्भागो ह्रियते लब्धा एकत्रिंशद्दिवसाः, शेषाण्यवतिष्ठन्ते षड्विंशत्यधिकानि सप्तशतानि चतुश्चत्वारिंशसप्तभागानाम्, तत उभयेषामप्यङ्कानां षड्भिरपवर्त्तना क्रियते जातमेकविंशं शतं चतुर्विंशत्युत्तरशतभागानामिति ५ । (बृभा ११३० की वृ)
नक्षत्रमास के दिनों की संख्या जानने के लिए यह रणगाथा है--'जुगमासेहिं ।' युग के दिनों में युगमासों का भाग देने पर जो भागफल लब्ध हो, उसे पंचविध मासों अहोरात्रों का प्रमाण जानना चाहिये ।
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युग के दिन सूर्य दक्षिणायन में १८३ दिन और उत्तरायण में १८३ दिन गति करता है। दो अयन का एक वर्ष होता है अतः एक वर्ष में ३६६ दिन होते हैं। पांच वर्षों का एक युग होता है । ३६६ को ५ से गुणन करने पर एक युग में ३६६४५ = १८३० दिन होते हैं।
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१. नक्षत्रमास - एक युग में ६७ नक्षत्रमास होते हैं । युग के १८३० दिनों में नक्षत्रमासों का भाग देने पर जो भागफल निकले, वह एक नक्षत्रमास के दिनों की संख्या है१८३०÷६७= २७ ६७ अहोरात्र ।
२. चन्द्रमास - एक युग में ६२ चन्द्रमास होते हैं। युग-दिनों में ६२ का भाग देने पर जो लब्ध हो, वह चन्द्रमास के दिनों की संख्या है - १८३०÷६२ २९ धेरै दिन। ३. ऋतुमास - एक युग में ६१ कर्म (ऋतु) मास होते हैं। एक मास के दिनों की संख्या - १८३०÷६१ = ३० दिन । ४. सूर्यमास - एक युग में ६० सूर्यमास होते हैं। एक मास के दिनों की संख्या-१८३०÷६० - ३०३ दिन ।
५. अभिवर्धित मास- इसके दिनों की संख्या निकालने के लिए युग - दिवसों को १३ से गुणित किया जाता है१८३०×१३=२३७९० । इसमें ७४४ का भाग देने पर भागफल ३१ दिन लब्ध होते हैं। ७२६ शेष रहते हैं। इन द्विविध अंकों की छह से अपवर्तना करने पर १२४ । इस प्रकार अभिवर्धित मास के ३११२४ दिन होते हैं।'
७२
१२१
(सूर्य की गति के आधार पर अद्धाकाल (समये अहोरात्र आदि) होता है। - श्रीआको १ काल
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सूर्य- - चन्द्र संख्या - मनुष्यक्षेत्र में एक सौ बत्तीस चन्द्र और एक सौ बत्तीस सूर्य हैं। उनका क्रम इस प्रकार हैमनुष्य क्षेत्र जम्बूद्वीप
चन्द्र
२
४
१२
४२
७२
१३२
१३२
मनुष्य-क्षेत्र दो पंक्तियों में विभक्त है- दक्षिण पंक्ति और उत्तर - पंक्ति । प्रत्येक पंक्ति में छासठ-छासठ चन्द्र-सूर्य हैं । - सम ६६ / १, २ वृ ।
• अहोरात्र और तिथि में अंतर- साधारणतया एक मास में ३० अहोरात्र होते हैं और एक पक्ष में १५ अहोरात्र । किन्तु आषाढ, भाद्रपद, कार्तिक, पौष, फाल्गुन और वैशाख मास के कृष्ण पक्ष में १४ अहारोत्र होते हैं। इसका कारण यह है कि
लवणसमुद्र
धातकीखंड
काल
कालोदधि समुद्र
पुष्करार्द्ध
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सूर्य
२
४
१२
४२
७२
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