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काल
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आगम विषय कोश-२
विगतद्वारमित्यर्थः । जं क्रूरग्रहेणाक्रान्तं तं सग्गह, जत्थ व्युद्ग्रह, राहुहत में मृत्यु और ग्रहभिन्न में शोणितउद्गार रविससीण गहणं आसी तं राहुहतं, मझेण जस्स गहो होता है। गतो तं गहभिण्णं, एते सत्त वि णक्खत्ता चंदजोगजुत्ता ६. प्रशस्त भाव : उच्च स्थानगत ग्रह आलोयणादिसु सव्वपयत्तेण वज्जणिज्जा।
..."उद्धट्ठाणा गहा य भावम्मि। (निभा ६३८४-६३८६ चू)
भावतो उच्चट्ठाणगतेसु गहेसु-रविस्स मेसो सात नक्षत्र अप्रशस्त हैं
उच्चो, सोमस्स वसभो, अंगारस्स मगरो, बुहस्स कण्णा, ० संध्यागत-जिसके उदित होने पर सूर्य उदित हो। अन्य। विहस्स-तिस्स कक्कडओ, मीणो सुक्कस्स, तुलो मतानुसार सूर्य के पीछे के या आगे के नक्षत्र के बाद का नक्षत्र। सणिच्छरस्स।सव्वेसिंगहाण अप्पणो उच्चदाणातोजसत्तम ० रविगत-जहां सूर्य स्थित हो।
तं णीयं। अहवा-भावतो पसत्थं बुहो सुक्को वहस्सती ० विड़ेर-जिसके होने पर गमन, कर्मसमारंभ आदि अभिहित ससी य। एतेसिं रासि-होरा-द्रेक्कणिअंसतेसु वा उदिएसु नहीं हैं। अथवा जो विगतद्वार है-पूर्व द्वार वाले नक्षत्रों में पूर्व
सोम्मग्गह-बलाइएसुय। (निभा ६३८८ चू) दिशा से जाने के स्थान पर पश्चिम दिशा से जाने पर प्राप्त
ग्रह उच्चस्थान ग्रह उच्चस्थान नक्षत्र।
१. सूर्य मेष ५. बृहस्पति कर्कटक ० सग्रह-क्रूर ग्रह से आक्रांत। विलंबि-सूर्य के द्वारा भोगकर छोड़ा हुआ। अन्य मतानुसार
२. सोम वृषभ ६. शुक्र मीन सर्य के जाने पर उसके पीछे का तीसरा नक्षत्र ।
३. मंगल मकर ७. शनि तुला ० राहुहत-जिसमें सूर्यग्रहण-चन्द्रग्रहण हो।
४. बुध कन्या ० ग्रहभिन्न-जिसके बीच से ग्रह का गमन हो।
सब ग्रहों में अपने उच्चग्रहस्थान से जो सातवां स्थान चन्द्रयोग से युक्त ये सातों नक्षत्र आलोचना आदि है, वह नीच स्थान है। अथवा प्रशस्त बुध, शुक्र, बृहस्पति, शुभकार्यों में सर्वथा वर्जनीय हैं। संध्यागत में कार्य करने पर सोम आदि सौम्य ग्रह, इन ग्रहों से संबंधित राशि-लग्न और इन कलह, विलंबी में पर्याप्त या अच्छे भोजन की अप्राप्ति, ग्रहों से अवलोकित बव आदि करण प्रशस्त हैं। विड्डेर में शत्रु की विजय, रविगत में अशांति-दुःख, सग्रह में * बव आदि ग्यारह करण द्र श्रीआको १ कालविज्ञान (एक तिथि में दो करण होते हैं। किस तिथि में कौन-सा करण होता है ? देखें यंत्रकृष्ण पक्ष
शुक्ल पक्ष दिवसकरण रात्रिकरण
दिवसकरण रात्रिकरण बालव कोलव
किंस्तुघ्न
बव स्त्रीविलोकन गर
बालव
कौलव वणिज विष्टि
स्त्रीविलोकन गर बव बालव
वणिज
विष्टि कौलव स्त्रीविलोकन
बव
बालव वणिज
कौलव
स्त्रीविलोकन विष्टि बव
वणिज बालव कौलव
विष्टि
बव स्त्रीविलोकन गर
बालव
कौलव
तिथि
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गर
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