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आगम विषय कोश-२
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समिति
चाहिए। निष्ठुर-स्नेहहीन वचनों से भर्त्सना करना खिंसा और वएज्जा"उवणीयवयणं"अवणीयवयणं"उवणीयअवणीयमृदु-स्निग्ध वचनों से निन्दा करना उपालम्भ है।
वयणं..."अवणीयउवणीयवयणं वएज्जा, तीयवयणं.... जो छोटे और खरसाध्य (कठोरता से मानने वाले) हैं, पडुप्पन्नवयणं "अणागयवयणं वदिस्सामीति अणागयवयणं स्खलना करने पर उनकी खिंसा करनी चाहिए।
."पच्चक्खवयणं वदिस्सामीति पच्चक्खवयणं"परोक्खजो रात्निक-ज्येष्ठ हैं, पूर्वगुरु हैं, राजा आदि ऋद्धिमान वयणं वदिस्सामीति परोक्खवयणं वएज्जा॥ व्यक्ति हैं अथवा मानी (ऋद्धिमान न होने पर भी स्वाभिमानी) हैं,
(आचूला ४/३, ४) उन्हें त्रुटि होने पर उपालम्भ देना चाहिए।
विचारपूर्वक निष्ठाभाषी (निश्चित जानकारी के पश्चात नो कप्पड़ निग्गंथाण"छ अवयणाई वइत्तए...
निश्चित बोलने वाला) संयमी सम्यक् भाषा बोले । (कहना हो तो अलियवयणे हीलियवयणे खिंसियवयणे फरुसवयणे
वह) १. एकवचन बोलूंगा-ऐसा निश्चय कर एकवचन बोले, गारत्थियवयणे विओसवियं वा पुणो उदीरित्तए॥(क ६/१)
२. द्विवचन बोलूंगा-ऐसा निश्चय कर द्विवचन बोले, ३. बहुवचन ___ निग्रंथ को छह प्रकार के अप्रशस्त वचन नहीं बोलने बोलूंगा-ऐसा निश्चय कर बहुवचन बोले, ४. स्त्रीवचन बोलूंगाचाहिए-असत्य वचन, अवज्ञापूर्ण वचन, मर्मवेधी वचन, परुष, ऐसा जानकर स्त्रीवचन बोले, ५. पुरुषवचन बोलूंगा-ऐसा सोच वचन, गृहस्थ वचन (मेरी माता, मेरा पुत्र आदि), उपशांत कलह पुरुषवचन बोले, ६. नपुंसकवचन बोलूंगा-ऐसा निश्चय कर की उदीरणा करने वाले वचन।
नपुंसकवचन बोले, ७. अध्यात्मवचन बोलूंगा-ऐसा निश्चय कर • निषिद्ध भाषा : नभोदेव आदि
अध्यात्मवचन बोले, ८. उपनीत (प्रशंसात्मक) वचन बोलूंगासे भिक्खू वा भिक्खुणी वा णो एवं वएज्जा
ऐसा निश्चय कर उपनीत वचन बोले, ९. अपनीत (निन्दात्मक) णभोदेवे ति वा, गज्जदेवे ति वा, विजुदेवे ति वा, पवद्वदेवे वचन बोलूंगा-ऐसा निश्चय कर अपनीत वचन बोले, १०. उपनीततिवा, निवदेवे तिवा, पडउवा वासंमा वा पडउ.णिप्फज्जउ अपनीत वचन बोलूंगा-ऐसा निश्चय कर उपनीत-अपनीत वचन वा सस्सं मा वाणिएफजउ, विभाउ वा रयणीमा वा विभाउ, बोले, ११. अपनीत-उपनीत वचन बोलूंगा-ऐसा निश्चय कर उदेउ वा सरिए मा वा उदेउ, सो वा राया जयउ मा वा अपनीत-उपनीत वचन बोले, १२. अतीत वचन बोलूंगा-ऐसा जय .
(आचला ४/98) निश्चय कर अतीत संबंधी वचन बोले, १३. वर्तमान संबंधी वह भिक्षु अथवा भिक्षणी इस प्रकार न बोले-(आकाश वचन बोलूंगा-ऐसा निश्चय कर वर्तमान वचन बोले. १४. अनागत को) नभोदेव, (मेघ के गर्जन को) गर्जने वाला देव और (बिजली सबधी वचन बोलूंगा-ऐसा निश्चय कर अनागत वचन बोले. को) विद्युत देव न कहे। प्रवृष्टदेव (देव बरसा है), निवष्ट देव १५. प्रत्यक्षवचन बोलूंगा-ऐसा निश्चय कर प्रत्यक्ष वचन बोले, (देव नहीं बरसा है)-ऐसा न कहे। वर्षा हो अथवा न हो, धान्य १६. परोक्षवचन बोलूंगा-ऐसा निश्चय कर परोक्ष वचन बोले। निष्पन्न हो अथवा न हो, रात्रि हो अथवा न हो, सूर्य उदित हो . आमंत्रणी भाषा-विवेक अथवा न हो, वह राजा विजयी हो अथवा न हो-ऐसा न कहे। सेभिक्खू"पुमं आमंतेमाणे आमंतिते वा अपडिसुणेमाणे ० अवधारिणी भाषा-प्रयोगविधि : षोडश वचन
णो एवं वएज्जा-होले ति वा, गोले ति वा, वसुले ति वा, अणुवीइ णिट्ठाभासी, समियाए संजए भासं भासेज्जा" कुपक्खे ति वा, घडदासे ति वा, साणे ति वा, तेणे ति वा, से एगवयणं वदिस्सामीति एगवयणं ""दुवयणं वदिस्सामीति चारिए ति वा, माईति वा, मुसावाई ति वा इच्चेयाइं तुम एयाइं दुवयणं... बहुवयणं वदिस्सामीति बहुवयणं वएज्जा, ते जणगा वा-एतप्पगारं भासं सावजं सकिरियं जाव इत्थीवयणं वदिस्सामीति इत्थीवयणं"पुरिसवयणं... भूतोवघाइयं अभिकंख नो भासेज्जा"एवं वएज्जा-अमुगे णपुंसगवयणं"अज्झत्थवयणं वदिस्सामीति अज्झत्थवयणं तिवा, आउसो ति वा "सावगे ति वा, उपासगे ति वा, धम्मिए
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