Book Title: Bhikshu Agam Visjay kosha Part 2
Author(s): Vimalprajna, Siddhpragna
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 710
________________ आगम विषय कोश-२ ६६३ परिशिष्ट १ सन्दर्भ २८७७ २९३५-२९३७ २९५१ २९६१-२९६४ २९८२ ३०४७,३०६६ ३१५३ की चू विषय कथा-संकेत परिहारतप से भीत को आश्वासन नदी आदि में निमज्जन अतिप्रमाण में भोजन दरिद्र बटुक और अमात्य अल्पाहार से लाभ अवम और पूर्ण भृत पात्र प्राण रक्षा और तुच्छ भोजन रत्नवणिक् के द्वारा रत्न रक्षण का उपाय अहंकार से हानि राजा और अभिमानी मरुक धर्म का आपण वैद्य की याचना पर्युषणा (संवत्सरी) तिथि कालकाचार्य और सातवाहन में परिवर्तन कलह का उपशमन कुम्भकार क्षमापना का रहस्य उदायन और चण्डप्रद्योत शरणागत की रक्षा दरिद्र कृषक और चोर सेनापति क्रोध गोघातक मरुक मान अच्चंकारिय भट्टा माया पंडरज्जा साध्वी लोभारसलोलुपता आर्य मंगु भाव वैर ग्राममहत्तर और चोर सेनापति पैतृक सम्पत्ति का समानाधिकार चार कृषक पुत्र वेदोपघातपण्डक राजकुमार हेम उपकरणोपघात पंडक कपिल क्षुल्लक वातिक क्लीब तच्चन्निय भिक्षु स्त्री-पुरुष संवास वत्स और मां। आम्र और राजा ज्ञानस्तेन गोविन्दार्य चरणस्तेन उदायिमारक। मधुरकोण्डइल सकारण प्रव्रज्या प्रभव। मेतार्यऋषिघात दुष्ट शिष्य, स्वपक्ष-परपक्ष सर्षपनाल। मुखानंतक। उलूकाक्ष । शिखरिणी। उदायिमारक। जउणनृप मूढ : द्रव्यमूढ, काल मूढ, गणना मूढ, दुःशीला और घटिकावोद्र। महिषीपालक सादृश्य मूढ, वेदमूढ, व्युद्ग्राहणामूढ पिंडार। उष्ट्रपाल । ग्राममहत्तर और सेनापति। मातृगामी राजकुमार । वणिक् पुत्र । अनंगसेन। अन्धपुरुष। स्वर्णकार पिता से पूर्व पुत्र की बड़ी दिक्षा दंडिक (राजा)-दृष्टांत ३१८०, ३१८१ ३१८२-३१८५ ३१८६, ३१८७ ३१९३ ३१९४-३१९६ ३१९८ ३२०० ३३५९ ३४९९ ३५७५ ३५७६ ३५८९ ३६०४ च ३६५६ चू ३६५६ ३६६२ की चू ३६८३-३६८९ ३६९४-३७०१ चू ३७६५ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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