Book Title: Bhikshu Agam Visjay kosha Part 2
Author(s): Vimalprajna, Siddhpragna
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 715
________________ परिशिष्ट १ ६६८ आगम विषय कोश-२ सन्दर्भ विषय निष्पक्ष वाचना २१५-२२३ योग्य-अयोग्य शिष्य अध्ययन की प्रेरणा, गर्वत्याग अप्रशस्त-प्रशस्त भावउपक्रम द्रव्यहीन ज्ञान के अतिचारः हीनाक्षरअधिकाक्षर आदि शिक्षार्थी की परीक्षा शिक्षा के अनर्ह-अर्ह २२४-२३२ २३९ वृ पृ७३,७४ २६२-२६४ २८९ व २९१-२९६ वृ ३३०-३३३ ३३४-३६१ ३७२ ३७६ ज्ञान का गर्व अनुभवहीनता त्रुटित आलापक ज्ञान से हानि सूत्रार्थ का व्यवच्छेद पुण्य का उपहनन। रहस्योद्घाटन। महिला रहस्य गुरु का अपलाप शिक्षित शिष्य की परीक्षा कथा-संकेत दारु। धातु । व्याधि। बीज । कांकटुक। लक्षण। स्वप्न दृष्टांत अग्नि, बाल-ग्लान, सिंह आदि दृष्टांत कालकाचार्यकथा, धूलि दृष्टांत गणिका । ब्राह्मणी। अमात्य माता-पुत्र विद्याधर और अभय। अशोक-कुणाल वञ्जुल और बंदर। पायस। आवली उंडिका (मुद्रा) पातन मुद्गशैल-कृष्णभूमि। कुट। चालनीतापस भाजन। परिपूणक-हंस। महिषमेष। मशक-जलौक। बिडाली-जाहक। गौ। भेरी। आभीरी दुर्विदग्ध वैयाकरण वैद्य और राजा उत्सारकल्पिक आचार्य घंटाशृगाल रक्तपट भिक्षु अमात्यो बटुकी और मूलदेव परिव्राजक आम्र और वृक्षबीज दृष्टांत बृभा भाग-२ म्लेच्छ द्वय इक्षुकरण दृष्टांत कन्यान्तःपुर। शकट। स्थली अमांसभक्षी और मद्यप। मुद्गफली चार ब्राह्मण पटरानी प्रज्ञाचक्षु सोमिल ब्राह्मण यवराजर्षि ७१७ ७२१-७२३ वृ ७४२ ७६० व ७८६ ७९८-८०२ निर्दयता असुरक्षा से हानि वर्जना का महत्त्व स्वाद का दुष्परिणाम परिणामक-अपरिणामक प्रतिसेवना श्रुत की आंख पठित श्लोकत्रयी से जीवनरक्षा ९८३ वृ ९८८ वृ ९९१-९९३ वृ ९९४ १०१२-१०१६ १०५१ ११५३ ११५४-११६१ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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