Book Title: Bhikshu Agam Visjay kosha Part 2
Author(s): Vimalprajna, Siddhpragna
Publisher: Jain Vishva Bharati

View full book text
Previous | Next

Page 717
________________ परिशिष्ट १ ६७० आगम विषय कोश-२ विषय जागना अच्छा या सोना साधु और बहुमूल्य वस्त्र सुलक्षण वस्तु की विशेषता मात्रक के अग्रहण से तिरस्कार सुप्रावृता साध्वी की गरिमा सन्दर्भ ३३८३ ३९०२, ३९०४ .३९५८-३९६०वृ ४०६६ वृ ४१२०-४१२८ वृ विनय का मूल्य आचार्य का सम्मान अपराधों के एकीकरण से हानि ४४३०-४४३४ वृ ४४५८ वृ ४५२१-४५२३ पुरःकर्म का प्रतिषेध अव्यापृत आदि गृह और शय्यातर ४५७६ वृ. ४७६९-४७७६ बृभा भाग-४ कथा-संकेत श्रमण महावीर और जयन्ती स्तेन दृष्टांत द्रमक। वर्धकिसुत वारत्तग योध। मुरुण्ड-हस्ती। नर्तकी-लंखिका। कदली स्तम्भ दास दृष्टांत भद्र भोजिक तृण-सारणि । सर्षप-शकट-मंडप। वस्त्र। मरुक दृष्टांत उदक दृष्टांत कुटुम्बी। वणिक्। पिशाचगृह बृभा भाग-५ पादलिप्त आचार्य और राजकन्या। श्रीगृह सर्षपनाल। मुखानन्तक। उलूकाक्ष । शिखरिणी। पुद्गल । मोदक । कुंभकार। हाथीदान्त को उखाड़ना। वटशाला भंजन। नैमित्तिक आचार्य और वणिक् मित्र हेमकुमार। कपिल क्षुल्लक घटिकावोद्र वणिक् पिंडारक उष्ट्रारूढ महत्तर और सेनापति का संग्राम राजदृष्टांत द्वीपजात । पंचशैल। अंधदृष्टांत । सुवर्णकार सुकुमारिका आर्या वसति का दोष कषाय दुष्ट ४९१५, ४९२५ वृ ४९८७-४९९२ स्त्यानर्द्धि निद्रा ५०१७-५०२२ अर्थदान वेदोपहत-उपकरणोपहत पंडक द्रव्यमूढ कालमूढ गणनामूढ सादृश्यमूढ वेदमूढ व्युद्ग्राहित मूढ ५११५-५११७ ५१५२-५१५४ ५२१५ वृ ५२१६ वृ ५२१७ वृ ५२१७ वृ ५२१८ व ५२२३-५२२७वृ ग्लानावस्था में वेदोदय ५२५४-५२५९ वृ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 715 716 717 718 719 720 721 722 723 724 725 726 727 728 729 730 731 732